राजधानी लखनऊ में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया की दो दिवसीय बैठक होंगी अहम मुद्दों पर चर्चा

राजधानी लखनऊ में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन सोमवार को मुसलमानों से जुड़े कई अहम मुद्दों को लेकर चर्चा हुई, जिसमें धार्मिक कट्टरता के खिलाफ अभियान चलाने को लेकर आम सहमति बनी.
बैठक में बोर्ड के पदाधिकारियों ने माना कि तालिबानी सोच वाले लोग हर धर्म में मौजूद हैं. तय हुआ कि बोर्ड हर धर्म में छिपे तालिबानी सोच वाले लोगों को बेनकाब करेगा. गौरतलब है कि 2017 में गठित इस बोर्ड का दावा है कि वह देश के 85 फ़ीसदी सुन्नी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है.
पहले दिन की बैठक के बाद राष्ट्रीय महासचिव मुईन अहमद ने बताया कि धार्मिक कट्टरता के खिलाफ जागरूकता अभियान, मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने, इबादतगाहों की सुरक्षा, केंद्रीय वक्फ एक्ट में संशोधन और
सूफीवादी विचारधारा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए काम करने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई. उन्होंने आरोप सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सूफीवादी धर्मस्थलों का प्रबंधन वहाबी विचारधारा के हवाले करने की मुहीम चलाई है. मौजूदा वक्फ एक्ट में बदलाव की जरुरत है.
मुईन अहमद ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को विफल करार दिया। उन्होंने कहा कि बोर्ड में 22 राज्यों का प्रतिनिधित्व है. बैठक की अध्यक्षता मौलाना कारी युसूफ अजीजी ने की.
इस बैठक में कर्नाटक के मौलाना तंवरी हाश्मी, सूफी साजिद हुसैन अजमेरी, हाफिज मोहम्मद अली कादरी, आंध्र प्रदेश अध्यक्ष सूफी अल्ताफ रजा, राजस्थान अध्यक्ष मुफ़्ती शमीम और उत्तराखंड के अध्यक्ष मौलाना जाहिद राजा राजवी सहित कई प्रदेशों के पदाधिकारी मौजूद रहे.