राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 1 सितंबर से 9वीं-12वीं तक के खुलेंगे स्कूल
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कम होते कोरोना संक्रमण के नए मामलों के बीच स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने का फैसला किया गया है. 1 सितंबर से 9वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूल खोले जाएंगे. उसके बाद 8 सितंबर से छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के लिए स्कूल खोले जाएंगे.
दूसरी तरफ, आगामी महीनों में कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर की चिंताओं के बीच अभिभावकों की राय राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को फिर से खोलने की योजना को लेकर बंटी हुई है.
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने दिल्ली में सितंबर से स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से फिर से खोलने की सिफारिश की थी.
कुछ लोगों का मानना है कि अब बहुत हो चुका और स्कूलों को खोल दिया जाना चाहिए जबकि कुछ का मानना है कि कुछ और सप्ताह या महीने तक प्रतीक्षा करने में कोई समस्या नहीं है क्योंकि विशेषज्ञों ने संभावित तीसरी लहर को लेकर आगाह किया है.
दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा, ‘‘ जोखिम अभी समाप्त नहीं हुआ है. अक्टूबर-नवंबर से ठीक पहले स्कूलों को फिर से खोलना सही फैसला नहीं है
Schools in Delhi to re-open in a phased manner. Classes for std 9th to 12th will begin from September 1st. Classes for std 6th to 8th will begin from September 8th. pic.twitter.com/BqlL0PQ0Mf
— ANI (@ANI) August 27, 2021
क्योंकि विशेषज्ञों ने इन्हीं महीनों में तीसरी लहर आने का अनुमान जताया है. ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था चल रही है और इसे कुछ और सप्ताह या एक और महीने तक बढ़ाने से कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा जबकि पहले ही स्कूल इतने लंबे समय से बंद रहे हैं.’’
नौ साल के बच्चे की मां दीक्षा वर्मा ने कहा, ‘‘यदि स्कूलों को फिर से खोलना ही है तो उन्हें पूर्णकालिक कक्षाएं शुरू नहीं करनी चाहिए. हम सभी जानते हैं कि कई देशों में फिर से मामले बढ़ रहे हैं और अगला हमारा नंबर हो सकता है.’’
बहरहाल, ऑल इंडिया पैरंट्स एसोसिएशन (एआईपीए) स्कूलों को फिर से खोलने की मांग कर रही है. एआईपीए के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा, ‘‘दिल्ली में स्कूलों को फिर से खेालने में अनिश्चितकाल तक देरी का क्या औचित्य है? 2020-21 की तरह 2021-22 भी शून्य अकादमिक वर्ष बनने जा रहा है.’’
आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले जुड़वां बच्चों के पिता निशांत भारद्वाज ने भी ऐसी ही राय जताते हुए कहा, ‘‘सरकार ने पहले ही संकेत दे दिया है कि बच्चों के स्कूल आने के लिए माता-पिता
की अनुमति आवश्यक होगी और जो स्कूल नहीं आना चाहते वे ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले सकते हैं. फिर क्या मसला है? अगर कुछ माता-पिता इसके पक्ष में नहीं है तो वे अपने बच्चों को न भेजे.’