पीएम मोदी ने हाल ही में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी.
इस योजना के तहत पहली बार लाभ प्राप्त करने वालों के लिए आधार अनिवार्य नहीं है. लेकिन, योजना के तहत दूसरी बार इलाज के लिए आधार अनिवार्य होगा. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के क्रियान्यन के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंदू भूषण ने कहा कि यदि आधार नहीं है तो लाभार्थी को कम से कम यह साबित करने के लिए दस्तावेज पेश करने होंगे कि वे 12 अंक की विशिष्ट पहचान संख्या के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं. यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है, जब उच्चतम न्यायालय आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहरा चुका है.
भूषण ने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का अध्ययन कर रहे हैं. आधार संख्या या यह साबित करने के लिए कम से कम ऐसे दस्तावेज, कि व्यक्ति ने 12 अंक की विशिष्ट पहचान संख्या के लिए पंजीकरण कराया है, इस योजना के तहत दूसरी बार उपचार के लिए अनिवार्य होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार (इस योजना का) लाभ उठाने के लिए व्यक्ति आधार या मतदाता पहचान पत्र जैसे कोई पहचान पत्र दिखा सकता है.’’
आयुष्मान भारत- राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन का नाम बदलकर आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना किया गया है. प्रधानमंत्री ने 23 सितंबर को झारखंड से अखिल भारतीय स्तर पर इसकी शुरूआत की थी. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि इस योजना के शुरू होने के बाद से 50 हजार से ज्यादा गरीब लोग इसका फायदा उठा चुके है.
उन्होंने कहा कि निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचार ने इन परिवारों को मजबूती प्रदान की है. एनएचए के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिनेश अरोड़ा ने बताया कि इस योजना की शुरुआत होने के बाद अब तक 47,000 से अधिक लोग उसका लाभ उठा चुके हैं. 92000 से अधिक लोगों को गोल्ड कार्ड दिया जा चुका है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम बताया जा रहा है.
इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य 10.74 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को पैनल के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं (ईएचसीपी) के नेटवर्क के माध्यम से द्वितीयक और तृतीयक देखभाल के तहत इलाज हेतु भर्ती के लिए पांच लाख रुपये प्रति परिवाार सलाना कवरेज प्रदान करना है. अरोड़ा ने बताया कि 98 प्रतिशत लाभार्थियों की पहचान कर ली गई है. तेलंगाना, ओडिशा, दिल्ली और केरल उन राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने यह योजना नहीं चुनी है.