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शनि त्रयोदशी व्रत संतान की कामना रखने वाले लोगों के लिए होता है वरदान साबित

हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव को समर्पित प्रदोष व्रत का बेहद महत्व बताया गया है. प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में जब प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत या फिर शनि त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है.

शनि त्रयोदशी व्रत से न सिर्फ आप भगवान शिव का बल्कि शनिदेव का आशीर्वाद भी बेहद ही आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. यह व्रत 4 सितंबर 2021, दिन शनिवार यानि आज रखा जा रहा है.

शनि त्रयोदशी का व्रत विशेष तौर पर संतान की कामना रखने वाले लोगों के लिए वरदान बताया जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं अपने जीवन से आर्थिक तंगी और दरिद्रता दूर करने के लिए भी शनि त्रयोदशी का यह व्रत बेहद ही शुभ माना गया है.

शनि त्रयोदशी मुहूर्त

शनि त्रयोदशी: 4 सितंबर 2021, शनिवार

पूजा का मुहूर्त- शाम 06 बजकर 39 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक

भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ- सुबह 08 बजकर 24 मिनट से (सितंबर 04)

भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त- सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक (सितंबर 05)

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत के बारे में प्रचलित सबसे महत्वपूर्ण मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति प्रदोष व्रत का पालन करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हर अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति भी होती है. साथ ही इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुःख भी दूर हो जाते हैं.

कलयुग में इस व्रत का बहुत महत्व बताया जाता है. कहते हैं यह मंगलकारी व्रत भगवान शिव की कृपा दिलाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, प्रदोष के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और यही वजह है कि इस दौरान लोग व्रत और पूजा से भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल करने का प्रयत्न करते हैं.

-इस दिन सूर्योदय से पहले उठाकर स्नान आदि दैनिक क्रिया से निवृत होकर पूजा/व्रत का संकल्प लें.
-इसके बाद भगवान शिव की पूजा प्रारंभ करें.
-इस दिन की पूजा में भगवान शिव की प्रिय वस्तुओं बेलपत्र, धतूरे के साथ अक्षत, धूप, दीप, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई आदि अवश्य शामिल करें. यदि व्रत कर रहे हैं तो इस दिन अन्न ग्रहण नही किया जाता है इस बात का विशेष ख्याल रखें.
-शाम के समय दोबारा स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें.
-पूजा वाली जगह गंगाजल से साफ करें और फिर गाय के गोबर से मंडप तैयार कर लें. मंडप में पांच रंगों से रंगोली बना लें और फिर कुशा के आसन पर उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके पूजा प्रारंभ करें.
-भगवान शिव को जल अर्पित करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें.
-इसके अलावा शनि त्रयोदशी के दिन शनिदेव के लिए पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं.

-कुंडली में किसी भी तरह का शनि दोष मौजूद है तो शनि त्रयोदशी के दिन भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें.
-संतान प्राप्ति के लिए शनि त्रयोदशी के दिन शिव मंदिर जायें और शिवलिंग पर 11 फूलों और 11 बेलपत्र से बनी माला चढ़ाएं.
-जीवन की किसी भी परेशानी को दूर करने के लिए शनि त्रयोदशी के दिन एक कटोरे में सरसों का तेल लें और उसमें अपनी छवि देख लें. इसके बाद इस तेल को किसी को दान में दे दें.
-यदि आपके वैवाहिक जीवन में लगातार कोई समस्या बनी हुई है और आप इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो शनि त्रयोदशी के दिन किसी काली गाय को कुमकुम का तिलक लगाकर उसे बूंदी के लड्डू खिलाएं. इसके पश्चात गाय के दाहिने सींग को छूकर अपनी समस्याओं का अंत होने की कामना करें.

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