हिंदू धर्म में सूर्य देव का विशेष महत्व इनके नियमित पूजन से जीवन में मिलती है शांति
सूर्यदेव को ग्रहों का राजा माना जाता है. उन्हें कलयुग में एकमात्र दृश्य देवता के तौर पर भी पहचाना जाता है. हिंदू धर्म में सूर्य देव का विशेष महत्व माना गया है. सूर्यदेव के नियमित पूजन से जीवन में शांति और खुशहाली आती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह नहाने के बाद रोजाना सूर्य देवता को जल चढ़ाने और रोज सूर्य नमस्कार करने से जीवन में बड़ा बदलाव होता है. वैदिक काल में भी भगवान सूर्य नारायण की उपासना का उल्लेख किया गया है.
धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है. महाभारत काल में रानी कुंती को सूर्य देव की कृपा से ही पहले पुत्र की प्राप्ति हुई थी. वहीं वेदों में सूर्य को जीवन, सेहत और शक्ति के देवता के तौर पर मान्यता है. सूर्यनारायण के सामने किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम भी कहा जाता है.
सूर्य के 3 प्रहर की साधना
सूर्य की दिन में तीन प्रहर की साधना को विशेष फलदायी माना गया है.
- प्रात:काल के वक्त सूर्य की साधना से आयोग्य प्राप्त होता है.
- दोपहर में की गई आराधना साधक को मान-सम्मान दिलाती है.
- शाम के वक्त की गई साधना सौभाग्य को जगाकर संपन्नता लाती है.
सूर्य को सभी ग्रहों का स्वामी माना जाता है. स्नान के बाद सूर्यनारायण को जल चढ़ाना चाहिए. धार्मिक मान्यता के साथ ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. नहाने के बाद नीचे सिर्फ अंगोछा (टॉवेल) ही पहनना चाहिए बाकी पूरे बदन पर कपड़ा नहीं होना चाहिए. जल का लोटा लेकर गीले बदन ही सूर्य देवता की ओर मुंह कर के जल को चढ़ाना चाहिए.
साथ ही सूर्य से निकलने वाली किरणें शरीर पर पड़ी जल की बूंदों में प्रवेश कर सात रंगों में विभक्त हो जाती हैं और इससे शरीर में जिस रंग की कमी होती है उसकी पूर्ति हो जाती है. इससे हमारे स्वास्थ्य में सुधार होता है और कुछ वक्त में ही शरीर आरोग्य प्राप्त करने लगता है.