आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन ज्वॉइन करने से पहले शोएब मोहम्मद लोन दून आया था। यहां वह अपने कुछ दोस्तों से मिला भी था। यहां से लौटने के बाद ही बीस सितंबर को उसने हिजबुल की सदस्यता ली। यह जानकारी सामने आने के खुफिया एजेंसियों के होश उड़े हैं। पता लगाने की कोशिश हो रही है कि आतंकी संगठन में शामिल होने से पहले शोएब के देहरादून आने का उद्देश्य क्या था? खुफिया एजेंसियां शोएब के दून में बनाए सूत्र-संपर्क को बारीकी से खंगाल रही है।
शोएब के आतंक की राह चुनने के बाद से जम्मू-कश्मीर के सैन्य अधिकारी और इंटेलीजेंस ब्यूरो के आला-अधिकारियों ने प्रेमनगर क्षेत्र के उस संस्थान से भी संपर्क किया, जहां वह दो साल तक बीएससी आइटी का छात्र रह चुका है। दरअसल, शोएब के बीस सितंबर को हिजबुल ज्वॉइन करने के एक दिन बाद ही उसकी मां को यह बात पता चल गई थी।
22 सितंबर को उसकी मां ने बेटे को वापस लाने के लिए कुलगाम में सेना के अधिकारियों से संपर्क किया। तब उसकी मां ने बताया था कि बीस सितंबर से दस रोज पहले शोएब घर से देहरादून अपने कॉलेज जाने की बात कह कर निकला था। खुफिया जांच में इसकी पुष्टि भी हो गई। पता चला कि कुलगाम से निकलने के बाद शोएब दून आया था। यहां वह कुछ दिन ठहरा भी था और दोस्तों से भी मिला था। खुफिया एजेंसियों में हड़कंप की स्थिति इसलिए भी है कि जब शोएब ने आतंक की राह चुन ही ली थी तो उसके दून आने का उद्देश्य क्या था? कहीं वह अपने नेटवर्क को इत्तला करने और दून के बारे में अंतिम इनपुट जुटाने तो नहीं आया था।
सीडीआर से मिली अहम जानकारी
इस बात की आशंका से बिल्कुल भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि शोएब ने हिजबुल ज्वॉइन करने का फैसला एकाएक लिया। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि निश्चित तौर पर संगठन को पूर्व में उसने कुछ ऐसा बताया होगा, जिससे उसे न सिर्फ आतंकी संगठन में शामिल किया गया। बल्कि सोशल मीडिया पर उसके इस खतरनाक कदम का ढिंढोरा भी पीटा गया।
सानियर छात्र के साथ रूम पार्टनर
बीएससी आइटी द्वितीय वर्ष की अंतिम परीक्षा देने के बाद जून में ही शोएब दून से अपने घर कुलगाम (जम्मू-कश्मीर) चला गया था। अगस्त में तृतीय वर्ष की पढ़ाई के लिए आना था, लेकिन वह नहीं आया। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने उसके घर संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। कॉलेज प्रशासन ने उसके रूम पार्टनर से जानकारी जुटानी चाही तो पता कि वह तो यहां से पढ़ाई पूरी कर जा चुका है। शोएब प्रेमनगर में इंस्टीट्यूट के पास ही एक मकान में सीनियर छात्र के साथ किराए पर रहता था। वहां भी मकान मालिक और पड़ोस के लोगों ने बताया कि शोएब कम ही लोगों से बात करता था।
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सीसीटीवी के बैकअप की होगी रिकवरी
खुफिया एजेंसियां दून स्थित आइएमए से लेकर राष्ट्रीय स्तर के रक्षा संस्थानों से लेकर अन्य सामरिक महत्व के स्थलों के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का बैकअप निकलवा रही हैं। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि कुलगाम से आने के बाद वह यहां कहां-कहां गया था।
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पढ़ाई में अव्वल था शोएब
महज बाइस साल की उम्र में आतंक की राह चुनने वाला शोएब का पढ़ाई में अच्छा रिकॉर्ड है। वह हाईस्कूल प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण है तो विज्ञान विषय से इंटर उसने लगभग 58 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण किया था। यही वजह रही कि शोएब को थोड़े प्रयास के बाद ही बीएसटी आइटी में दाखिला मिल गया।
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एजेंट के जरिये आया था दून
शोएब को प्रेमनगर स्थित इंस्टीट्यूट में एजेंट के जरिये दाखिला मिला था। दरअसल यह एजेंट कश्मीरी मूल के छात्रों को प्राइवेट संस्थानों में दाखिला दिलाकर अच्छा-खासा कमीशन पाते हैं। शोएब को दाखिला दिलाने वाला एजेंट भी खुफिया एजेंसियों के रडार पर है।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि शोएब के कुछ दिन पहले दून आने के इनपुट और उद्देश्य के बारे में खुफिया एजेंसियां जांच कर रही हैं। आगे जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कदम उठाए जाएंगे।
आतंकी व अलगाववादी संगठनों की मानीटरिंग तेज
केंद्रीय रक्षा व अन्य संस्थानों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ खुफिया एजेंसियों ने आतंकी व अलगाववादी संगठनों की मानीटरिंग तेज कर दी है। संगठनों की वेबसाइट से लेकर सोशल मीडिया पर चल रही गतिविधियों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं, अब तक पकड़े जा चुके संदिग्धों से मिली सूचनाओं के आधार पर हर ऐसी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है, जिससे दून या फिर पूरे उत्तराखंड के लिए खतरा है।
दून पर वैसे तो हमेशा से आतंकी साया रहा है। विगत वर्षों में आतंकी संगठनों के दहशतगर्द दून के राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों की रेकी कर चुके हैं तो कुछ के पास से संस्थानों के नक्शे तक बरामद हो चुके हैं। लंबे समय हिजबुल मुजाहिद्दीन का स्लीपर सेल भी यहां सक्रिय रहा। लश्कर-ए-तैयबा भी दून में अपने आतंकी को रेकी के लिए भेज चुकी है, जिसे दो साल पहले पटेलनगर कोतवाली क्षेत्र में आइएसबीटी के पास से पकड़ा गया था। वह यहां कंबल बेचने की आड़ में रह रहा था। फिर भी राहत की बात यह रही कि आतंकी व अलगाववादी संगठन अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होने पाए हैं। लेकिन इस बार दून में पढ़ रहे कश्मीरी छात्र के आतंकी बनने की घटना ने सबको न सिर्फ चौंका दिया है, बल्कि उस सिस्टम की खामियों को भी उजागर कर दिया, जिस पर इन सब गतिविधियों की निगरानी का जिम्मा है।
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ऐसे में अब जम्मू-कश्मीर में सीमा पर सक्रिय आतंकी संगठनों, खालिस्तानी समर्थकों से लेकर सिमी व अन्य चिह्नित संगठनों की गतिविधियों के बारे में खुफिया एजेंसियां ताजा इनपुट जुटाने में लग गई हैं, ताकि किसी तरह की अप्रिय स्थित उत्पन्न होने से पहले से नापाक मंसूबों को नाकाम किया जा सके। इसके लिए सुरक्षा विशेषज्ञ संगठनों की वेबसाइट, फेसबुक व सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों के जरिए होने वाले संदेशों पर भी नजर रख रहे हैं।
दोहरे सत्यापन से गुजरते हैं कश्मीरी छात्र
आतंक प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर से आने वाले छात्रों का दो स्तर पर सत्यापन होता है। पहली सत्यापन रिपोर्ट तो जम्मू-कश्मीर पुलिस की देनी होती है, उसके बाद देहरादून आने के बाद स्थानीय पुलिस उनका सत्यापन करती है। मगर यह सिर्फ औपचारिकता भरा होता है। यदि पुलिस अन्य गतिविधियों को लेकर अलर्ट होती तो एक साल पहले आंतकी बने दानिश और अब शोएब के बारे में काफी पहले पता चल गया होता। हालांकि दानिश पिछले साल सेना के सामने आत्मसमर्पण कर चुका है।
तीन हजार से अधिक कश्मीरी छात्रों की संख्या
देहरादून के विभिन्न संस्थानों में तीन हजार से अधिक कश्मीरी छात्र वर्तमान में अध्ययनरत हैं। यदि हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर के भी संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों को जोड़ लिया जाए तो यह संख्या एक हजार से भी अधिक हो जाती है।
कपड़ों की फेरी लगाने भी आते हैं कश्मीरी
जम्मू-कश्मीर से सर्दी के मौसम में बड़ी संख्या में गर्म कपड़ों की फेरी लगाने भी वहां के बाशिंदे आते हैं। हालांकि नियम के तहत उन्हें अपने निवास स्थान वाले थाना क्षेत्र की पुलिस को इत्तला करनी होती है, लेकिन इसमें से कई चुपके से आकर कारोबार कर वापस चले जाते हैं।