केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने कहा कि उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन, योग, ध्यान केंद्र, पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में निवेश की अच्छी संभावनाएं हैं। हर्बल स्टेट के रूप में विकास के बेहतर अवसर मौजूद हैं। इससे उत्तराखंड पूरे विश्व के लिए वेलनेस का मॉडल बन सकता है। उधर, आयुष क्षेत्र में अभी तक तीन हजार करोड़ के एमओयू हो चुके हैं।
इन्वेस्टर्स समिट के दूसरे दिन हेल्थ केयर एंड वेलनेस सेशन को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने कहा कि निवेशकों को राज्य में पर्यटन व योग केंद्र अवस्थापना विकास में बेहिचक रुचि लेनी चाहिए। बेहतर यही होगा कि पर्यटन में भी धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन पर फोकस किया जाए।
इन्वेस्टर्स समिट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में किया गया अच्छा प्रयास बताते हुए प्रदेश सरकार को बधाई भी दी। केदारनाथ त्रासदी के गवाह रहे अश्वनी चौबे ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उत्तराखंड में 40 वेलनेस सेंटर खुलेंगे। उन्होंने राज्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में निवेश करने पर जोर दिया।
प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने बताया कि आयुष व वेलनेस में अब तक 3000 करोड़ का एमओयू हो चुका है। आने वाले समय में इसमें बड़े निवेश की संभावनाएं हैं। आनंदाज ने स्पा और वेलनेस सेंटर और पतंजलि ने योग व वेलनेस सेंटर को कामयाब बनाने का प्रस्तुतीकरण दिया। इससे अन्य उद्यमियों ने भी गंभीरता से लिया है।
राज्य के कई आयुर्वेदिक विद्यालयों ने आगामी सत्र से नेचुरल पैथोलॉजी, स्पा, मसाज, योग जैसे नए विषयों को खोलने और उच्च स्तर पर कक्षाएं संचालित करने का भरोसा दिलाया है। बड़े उद्यमियों ने अच्छे निवेश की संभावना जताई है। लैंड यूज को लेकर बनाई गई नीति से इस सेक्टर को बहुत फायदा होगा। आयुष को उद्योग के साथ जोड़ा गया है।
डॉ रावत ने कहा कि आयुर्वेदिक क्षेत्र में 40 फीसद दवाएं निर्मित की जा रही हैं। इस क्षेत्र में बड़े निवेश से आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में तेजी आएगी। उक्त सत्र में पतंजलि के सीएमडी आचार्य बालकृष्ण ने निवेशकों को निवेश के लिए आमंत्रित किया। आयुष सचिव आरके सुधांशु ने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में निवेश के लिए उद्यमियों और निवेशकों को न्योता दिया गया है। इस अवसर पर महेश नजराजन, सौम्यजीत राय, प्रो अभिमन्यु कुमार, रंजीत मेहता व डॉ विजय धस्माना ने विचार रखे।
कृषि-उद्यानिकी में बड़े बदलाव की तैयारी
कृषि और उद्यानिकी में निजी निवेश की मदद से राज्य की आर्थिकी में आमूलचूल बदलाव की तैयारी है। निजी निवेशकों और उद्यमियों ने इन क्षेत्रों में बड़े निवेश का रुझान दिखाया है। खासतौर पर जैविक खेती, फ्लोरीकल्चर और उद्यानिकी के बूते उत्तराखंड के सुस्त पड़े इस क्षेत्र को रफ्तार मिलेगी। दो दिनी इन्वेस्टर्स समिट में उक्त क्षेत्रों में 4834 करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। वहीं अर्जेंटीना ने हर्बल क्षेत्र में राज्य में निवेश करने की इच्छा जताई है।
इन्वेस्टर्स समिट के दूसरे दिन सोमवार को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल की अध्यक्षता में कृषि एवं उद्यानिकी के सत्र हुए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में पूरा हिंदुस्तान समाया हुआ है। किसानों को पूरी मेहनत के बावजूद बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते परेशानी उठानी पड़ती है।
उत्तराखंड में खाद्य प्रसंस्करण की अपार संभावनाओं को खंगालना चाहिए। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि वर्तमान में एक लाख एकड़ में जैविक खेती की जा रही है। इसे अगले वर्ष तक बढ़ाकर तीन लाख एकड़ किया जाएगा। चाय की खेती वर्तमान में 300 हेक्टेयर में की जा रही है। इसे बढ़ाकर 1300 हेक्टेयर किया जाएगा।
पर्वतीय क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण के लिए टिहरी जिले के नौथा में खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर की स्थापना की जाएगी। इससे 500 लोगों को रोजगार मिलेगा। देश में स्थापित कुल 24 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में दो उत्तराखंड में हैं। किसानों को उत्पाद का अच्छा मूल्य दिलाने को 200 से 300 हेक्टेयर तक भूमि में एक ही उत्पादन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में 24 कोल्ड चेन हैं। इनमें 15 कोल्ड चेन डेढ़ वर्ष के भीतर स्थापित हुई हैं। एरोमा सेक्टर में 1325 करोड़, जैविक खेती में 1309 करोड़ और उद्यानिकी में 2200 करोड़ के पूंजी निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। पशुपालन राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कहा कि राज्य की 70 फीसद आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। पशुपालन से उनकी आर्थिकी में उन्नति होगी। पशुपालन से जैविक खेती संभव है। पशुधन उत्पाद हमारी जीविका का अहम हिस्सा है। चारे में 36 फीसद की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके लिए निवेशक व्यावसायिक मॉडल तैयार कर सकते हैं।
केंद्रीय संयुक्त सचिव पराग गुप्ता ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में संभावनाओं का दोहन होना चाहिए। प्रदेश में अधिकाधिक क्लस्टर बनाकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाए जाने चाहिए। इस मौके पर पशुपालन सचिव आर. मीनाक्षी संदरम, इक्विटी एडवाइजर के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजेश श्रीवास्तव, पतंजलि फूड व हर्बल पार्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्र चौधरी, आनंद डेयरी के चेयरमैन राधेश्याम दीक्षित व फ्रिक इंडिया के प्रबंध निदेशक जसमोहन सिंह ने विचार रखे।