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जाने क्या है विश्वकर्मा पूजा का महत्व

भगवान विश्वकर्मा पूजा पर्व 17 सितंबर को मनाया जायेगा. विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था.

इसी वजह से इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहा जाता है.विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है.

कहा जाता है कि इन्होनें ब्रह्मा जी के साथ मिलकर इस सृष्टि का निर्माण किया था. हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का क्या महत्त्व है और इस वर्ष पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है आइये जानते हैं.

विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन शुक्रवार को है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में विश्वकर्मा पूजा पर्व मनाया जायेगा. विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 07 मिनट से अगले दिन 18 सितंबर को प्रात: 03 बजकर 36 मिनट तक बना रहेगा.

मान्यता के अनुसार, हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा सूर्य की कन्या संक्रांति पर की जाती है. इस वर्ष 17 सितंबर को रात 01 बजकर 29 मिनट पर सूर्य की कन्या संक्रांति का क्षण है. इस दिन राहुकाल सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है. राहुकाल को छोड़कर आप विश्वकर्मा पूजा करें.

शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा जी का पुत्र कहा जाता है. कहा जाता है कि इन्होनें स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था.

साथ ही श्रीहरि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और भोलेनाथ के लिए त्रिशूल भी इनके द्वारा ही तैयार किया गया था. इतना ही नहीं मान्यता के अनुसार सतयुग का स्वर्गलोक, त्रेता की लंका और द्वापर युग की द्वारका की रचना भी भगवान विश्वकर्मा ने ही की थी.

उनकी इसी कुशलता के की वजह से उनको पूजनीय माना जाता है. श्रमिक समुदाय से जुड़े लोगों के लिए यह दिन बेहद खास होता है. इस दिन सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है.

कहा जाता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है.

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