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दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे के बाहर कृषि कानूनों के एक साल पूरे होने पर काला दिवस मना रहे किसान

दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे के बाहर शिरोमणि अकाली दल केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के एक साल पूरे होने पर ‘काला दिवस’ मना रहे हैं. पार्टी कार्यकर्ता इन कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए रकाबगंज से संसद तक विरोध मार्च निकालेंगे.

हालांकि, उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं है. लेकिन किसानों का कहना है कि वो कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन भी करेंगे और संसद के बाहर कानून की प्रतियां भी जलाएंगे.

बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस बल, सीआरपीएफ की महिला जवान मौजूद हैं जो पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जो कि किसानों के साथ बड़ी संख्या में पहुंचने वाले हैं उन्हे आगे बढ़ने से रोकेंगे. दंगा नियंत्रक वाहक, वाटर कैनन की गाड़ियां भी खड़ी हैं. साथ ही पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे हुए हैं.

किसानों और पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत की. प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन के दौरान काली पट्टी बांधी है. प्रदर्शनकारी किसान संदीप सिंह कहते हैं कि “हमारे पार्टी प्रधान ने मैसेज दिया सभी वर्कर और किसानों को कृषि बिल के विरोध को लेकर, इसलिए हम आए हैं.”

किसान नरेंद्र कहते हैं कि जैसे बादल साहब ने कॉल किया वैसे हम इक्कठे हुए हैं. पुलिस वाले गुंडागर्दी के साथ हमारी गाड़ियों को रोक रहे थे. लेकिन हम पैदल आए हैं. किसानो की गाड़ी को दिल्ली बॉर्डर पर कुछ जगहों पर रोक दिया गया जिसके बाद किसान पैदल चल कर दिल्ली पहुंचे हैं.

किसान प्रीत कहते हैं कि गाड़ी बॉर्डर पर रुकी है, हम रात 12 बजे से बॉर्डर से चले हुए हैं. ये लड़ाई किसानों के साथ साथ आम आदमी की भी है. हम डिक्टेटरशिप तोड़ने के लिए आए हैं.

सेंट्रल दिल्ली तक पहुंचने वाले सभी रास्तों को ब्लॉक कर दिया गया है. हालांकि काम पर जाने वाले लोगों को आगे बढ़ने की जगह दी जा रही है लेकिन किसानों को रोक दिया गया है. पंजाब से आए किसानों का कहना है कि वो करीब 2 से 3 घंटे से यहीं खड़े हैं, अनुमति नहीं मिलने पर भी आगे जायेंगे और काला दिवस मनाएंगे.

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