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नोएडा में दिमागी बुखार का बढ़ा खतरा स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता

मलेरिया और कोविड-19 जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे के बीच अब दिमागी बुखार ने भी शहर वासियों और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. जिले में इस बीमारी के तीन संदिग्ध मामले मिले हैं. हालांकि, अभी बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है.

बीमारी की पुष्टि जांच के बाद ही हो सकेगी. मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉक्टर सुनील शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने रोगियों का पता लगाने के लिए सात से 17 सितंबर तक घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया था. इसमें बुखार, मलेरिया और टीबी के कई रोगी मिले थे. इसी दौरान तीन लोगों में दिमागी बुखार के लक्षण दिखे.

उन्होंने बताया कि तीनों को जांच के लिए जिले के विभिन्न अस्पतालों में भेजा गया है. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण टीम ने लक्षणों के आधार पर वर्गीकरण कर मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा है. जिन मरीजों में दिमागी बुखार के लक्षण मिले हैं,

उनकी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम की जांच होगी. रिपोर्ट आने पर ही बीमारी की पुष्टि होगी. सीएमओ ने बताया कि डेंगू के मरीजों की तलाश के लिए रोजाना एनए1 रैपिड एंटीजन जांच की जा रही है. प्रतिदिन औसतन डेंगू के 10 मरीज मिल रहे हैं.

वहीं, कल खबर सामने आई थी कि गौतमबुद्ध नगर जिले में टीबी के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 10 दिनों के अंदर की गई निगरानी के दौरान 54 संदिग्ध मामलों में से 6 टीबी के नए केस सामने आए हैं.

इसके साथ ही इस साल अभी तक टीबी के करीब 5500 मामले सामने आ चुके हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा अधिकारियों के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक, मरीजों की पहचान विशेष निगरानी, जागरूकता अभियान

और इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वालों के डाटा के आधार पर की जाती है. हालांकि, पूरे जिले में की गई व्यापक निगरानी के कारण पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक टीबी मरीजों की पहचान की गई है.

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