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स्किन पर डार्क स्‍पॉट और पिगमेंटेशन से बचने के लिए करें ये काम जल्द आएगा निखार

स्किन पर डार्क स्‍पॉट और पिगमेंटेशन एक ऐसी समस्‍या है जो आसानी से ठीक नहीं होते. अगर एक बार स्किन पर ये प्रॉब्‍लम आ गई तो इन्‍हें ठीक करना बहुत ही मुश्किल भरा काम हो जाता है.

हेल्‍थलाइन के मुताबिक, हाइपरपिगमेंटेशन स्किन पर मेलानिन के अत्‍यधिक प्रोडक्‍शन की वजह से होता है. मेलानिन दरअसल स्किन को कलर देना वाला पिगमेंट है.यह एक खास स्किन सेल्‍स द्वारा प्रोड्यूस किया जाता है जो अलग अलग कारणों की वजह से इसका निर्माण करता है.

कई बार ये किसी खास मेडिकेशन जैसे केमोथेरिपीज की वजह से भी होता है जबकि कई बार प्रेग्‍नेंसी के बाद हार्मोनल बदलाव के कारण चेहरे पर हाइपर पिगमेंटेशन की समस्‍या शुरू हो जाती है.

इसके अलावा, सन एक्‍सपोजर की वजह से भी हाइपर पिगमेंटेशन की समस्‍या शुरू हो जाती है. ऐसे में अगर हम कुछ बातों को ध्‍यान में रखें तो अपने चेहरे पर बढ रहे पिंगमेंटेशन को आने से रोक सकते हैं.

लैपटॉप, टैबलेट, फोन, टीवी स्क्रीन, घर के अंदर लगे फ्लोरोसेंट बल्ब हाइपरपिगमेंटेशन की समस्‍या को बढा देते हैं. ऐसे में ज्‍यादा फ्लोरोसेंट लाइट से बचें. आप घर पर भी एसपीएफ का प्रयोग करें.

सेंसेटिव स्किन के एक्‍सफोलिएशन में खास ध्‍यान रखने की जरूरत पड़ती है.एक्सपर्ट्स की मानें तो ड्राई स्किन के लिये हफ्ते में दो बार और ऑयली स्किन के लिए हफ्ते में 1 बार ही एक्सफोलिएशन काफी है.

अपने एक्ने को फोड़ना, पस निकालना आदि हाइपरपिगमेंटेशन की वजह हो सकती है. इसकी वजह से चेहरे, गालों, फोरहेड पर डार्क स्पॉट्स हो जाते हैं.

सनस्‍क्रीन आपकी स्किन को यूवी रेज से बचाते हैं. ऐसे में रोज सनस्‍क्रीन या सनब्‍लॉक लोशन का प्रयोग करें. धूप में जाने से आधा घंटा पहले अच्‍छी तरह इसे स्किन पर अप्‍लाई करें.

नाइट टाइम स्किन केयर रूटीन जरूर फॉलो करें. जहां तक हो सके कैमिकल युक्‍त प्रोडक्‍ट की जगह नैचुरल चीजों का प्रयोग करें.

कई लोग स्किन केयर में नींबू जैसी चीजों का प्रयोग करते हैं‍ जिसमें भरपूर मात्रा में सिट्रिक एसिड होता है. ये स्किन का PH बैलेंस को बिगाड़ता है. जिससे धूप मे जाने पर आपके चेहरे पर एसिडिक रिएक्शन तेजी से हो सकता है.

स्किन केयर के लिए ऐसी चीजों से बचें जिसमें रेटिनॉइक या हाइड्रोक्यूनोन एसिड वाले प्रोडक्ट्स हों. ये स्किन कॉन्सनट्रेशन को डिस्‍टर्ब करता है और इससे स्किन पर हाइपरपिगमेंटेशन बढ़ सकता है.

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