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जम्मू कश्मीर में हो रही गोलियों का शिकार बने 5 नागरिक

एक घंटे से भी कम समय में तीन और लक्षित हत्याओं के साथ कश्मीर में पिछले 4 दिनों में पांच नागरिक हत्यारों की गोलियों के शिकार हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक, इन हथियाओं में अधिकांश हथियाएं राजधानी श्रीनगर में हुई हैं.

आतंकियों ने श्रीनगर और बांदीपोरा में इन हत्या को अंजाम दिया जिसके बाद एक बार फिर कश्मीर घाटी में सुरक्षा के माहौल पर सवाल उठने लगे हैं. श्रीनगर में शुक्रवार को अज्ञात आतंकवादियों ने जहां

दो नागरिकों की हत्या कर दी वहीं मंगलवार 5 अक्टूबर को दो और नागरिक मारे गए. एक नागरिक दिवेंदर पासवान जो गैर-स्थानीय स्ट्रीट हॉकर था वहीं, दूसरा गैर-स्थानीय हत्यारों की गोलियों का शिकार बना.

श्रीनगर स्थित रसायनज्ञ माखन लाल बिंदू, प्रसिद्ध बिंदू मेडिकेट के मालिक, जिनकी आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस साल ग्रीष्मकालीन राजधानी में मारे गए अल्पसंख्यक समुदाय के तीसरे प्रमुख व्यापारी हैं. इस साल जनवरी से अब तक पूरे कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के छह लोगों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी है.

पहला शिकार बने सुनार सतपाल निश्चल जो 1 जनवरी, 2021 को सराय बाला में उनकी ज्वेलरी की दुकान पर हुए आतंकी हमले में मारा गया. डलगेट में कृष्णा ढाबा के मालिक के बेटे आकाश मेहरा को 17 फरवरी को उनके भोजनालय में गोली मार दी गई थी. दस दिन बाद, मेहरा ने एसएमएचएस अस्पताल में दम तोड़ दिया.

त्राल के एक कश्मीरी पंडित बीजेपी नेता राकेश पंडित की 2 जून को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी जबकि सितंबर में बिहार के एक मजदूर की दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

यह याद किया जा सकता है कि अधिकांश कश्मीरी पंडितों के विपरीत, तीनों व्यापारी, माखन लाल बिंदू, सतपाल निश्चल और आकाश मेहरा, 1990 में उग्रवाद की शुरुआत के बाद से कश्मीर से नहीं गए थे. वे अपने कारोबार को जारी रखने के लिए रुके हुए थे और तीनों उद्यम- बिंदरू मेडिकेट, निश्चल ज्वैलर्स और कृष्णा ढाबा लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

श्रीनगर और अन्य सभी घटनाओं के लिए लश्कर से जुड़े आतंकी ग्रुप-TRF-the resistence front-ने ज़िम्मेदारी ली थी और सभी मारे गए अल्पसंख्यको पर आरएसएस समर्थक होने और कश्मीर में आरएसएस के एजेंडा पर काम करने का आरोप भी लगाया था.

जम्मू कश्मीर पुलिस के अनुसार आम नागरिकों पर हमले आतंकियों की हताशा धर्षता है जो अभ सुरक्षा बलों पर हमले करने के बदले सॉफ्ट टारगेट पर निशाना साध रहे हैं.

जम्मू कश्मीर पुलिस के कश्मीर जोन ईजीपी विजय कुमार के अनुसार, आतंकी रणनीति में बदलाव इस साल की शुरुआत से देखा गया जिसमें पिस्तौल से हमले- इसी का नया स्वरूप है.

2021 में अब तक हुए हमलो में 13 पुलिसकर्मी और 10 आम नागरिक मारे गए हैं और जम्मू कश्मीर पुलिस ने इसी समय सीमा में 120 से जायदा पिस्तौल बरामद किये हैं.

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