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चीन कर रहा गंभीर बिजली संकट का सामना

चीन इस समय कई दशक के सबसे गंभीर बिजली संकट का सामना कर रहा है। इसका दुष्प्रभाव चीन की पूरी सप्लाई चेन पर पड़ रहा है। इससे महामारी के बाद सुधार की राह पर चल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

मोटे तौर पर इस संकट का कारण कोयले पर चीन की निर्भरता है। हालांकि विदेश नीति की एक रिपोर्ट में इसके लिए सरकार की नीतियों को भी वजह बताया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने नीतिगत स्तर पर कुछ गलत फैसले किए। साथ ही, महामारी की शुरुआत में बाजार पर पड़ने वाले असर के आकलन में भी सरकार से चूक हुई।

बिजली संकट का ही नतीजा रहा कि सितंबर में चीन के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई। कोरोना के चलते लगे लाकडाउन के हटने के बाद से पहली बार इसमें गिरावट दर्ज की गई।

रिपोर्ट में कहा गया, बिजली उत्पादकों को चुकाई जाने वाली कीमत सरकार तय करती है, लेकिन कोयले की कीमतें वैश्विक बाजार पर निर्भर हैं। वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।

ऐसे में महंगे कोयले के साथ घाटे में बिजली बेचना संयंत्रों के लिए संभव नहीं है। बहुत से संयंत्र किसी तकनीकी खराबी का हवाला देकर या फिर जरूरी कोयला खरीदने में असमर्थता जताकर बिजली उत्पादन कम कर रहे हैं। यही बिजली की किल्लत का कारण बन रहा है। चीन में 70 प्रतिशत बिजली उत्पादन कोयले पर निर्भर है।

रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में मांग बढ़ने से जब कोयला महंगा होना शुरू हुआ, तब चीन सरकार ने स्थानीय कोयला कंपनियों के कीमत बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी। इससे चीन के कोयला उत्पादकों के लिए बढ़ी हुई कीमत लेना संभव नहीं रहा और कई कंपनियों ने कोयला उत्पादन में कटौती कर दी।

बिजली की किल्लत के कारण टेक्नोलाजी, कागज, खाद्य प्रसंस्करण, आटोमोबाइल और कपड़ा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। महंगाई का भी दबाव बढ़ रहा है।

बिजली संकट के कारण फसल कटाई पर भी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। ऐसे में खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ेगी। चीन की सप्लाई चेन प्रभावित होने से पूरी दुनिया में खाद्यान्न की कीमतों पर दबाव पड़ने का अनुमान है।

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