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केजरीवाल सरकार दिल्ली में वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए मुफ्त बायो डि-कंपोजर घोल के छिड़काव की करेंगी शुरूआत

केजरीवाल सरकार दिल्ली में वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए विंटर एक्शन प्लान के तहत पराली गलाने के लिए कल से किसानों के खेतों में मुफ्त बायो डि-कंपोजर घोल के छिड़काव की शुरूआत करेगी.

दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने बताया कि इस अभियान की शुरूआत नरेला विधानसभा के फतेहपुर जट गांव से की जाएगी. जिन किसानों ने अपने खेत में बायो डि-कंपोजर घोल के छिड़काव की मांग की है,

उनके खेतों में कल सुबह से छिड़काव शुरू कर दिया जाएगा. केजरीवाल सरकार ने इस बार दिल्ली में चार हजार एकड़ से अधिक एरिया में पराली गलाने के लिए इस घोल का छिड़काव करने की तैयारी की हुई है, जबकि पिछले साल करीब दो हजार एकड़ एरिया में ही छिड़काव किया गया था.

गोपाल राय ने कहा है कि पिछले दिनों ही थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट आई है, तब से किसान इसके परिणाम को लेकर काफी उत्साहित हैं. इसलिए इस बार यह लक्ष्य बढ़कर दोगुना हो गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिल्ली सरकार 24 सितंबर से पूसा इंस्टीट्यूट के सहयोग से खरखरी नाहर में बायो डि-कंपोजर का घोल तैयार करा रही है.

केजरीवाल सरकार ने सभी राज्यों से अपील की कि दिल्ली सरकार की तरह वे भी पराली गलाने में अपने-अपने किसानों की मदद कर सकते है और बायो डि-कंपोजर के छिड़काव पर आने वाला पूरा खर्च खुद वहन कर सकते हैं.

दिल्ली ने बायो डि-कंपोजर के रूप में पराली का समाधान दे दिया है. इसका घोल बनाने से लेकर खेत में छिड़काव करने तक एक हजार रुपए प्रति एकड़ से भी कम खर्च आता है.

इसके परिणाम से उत्साहित एयर क्वालिटी कमीशन ने भी अब सभी राज्यों को बायो डि-कंपोजर का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है. जब सभी राज्य सरकारें मिलकर पराली के समाधान की तरफ बढ़ेंगी, तभी इसका जड़ से समाधान संभव है.

केजरीवाल सरकार ने बीते 24 सितंबर को बायो डि-कंपोजर का घोल बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत की थी. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के सहयोग से खरखरी नाहर में यह घोल तैयार किया जा रहा है.

थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट से किसान काफी उत्साहित हैं और वे बासमती धान वाले खेतों में भी छिड़काव की मांग कर रहे हैं. इसलिए इस बार चार हजार एकड़ खेत के लिए घोल तैयार किया जा रहा है, जबकि पिछले साल दो हजार एकड़ खेत में छिड़काव किया गया था. इस बार सरकार घोल बनाने से लेकर छिड़काव करने तक करीब 50 लाख रुपए खर्च कर रही है.

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए विंटर एक्शन प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत 10 बिंदुओं पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है. इसी प्लान का हिस्सा पराली पर बायो डि-कंपोजर का छिड़काव करना भी है.

पिछले साल की तरह इस बार भी दिल्ली सरकार ने पराली के समाधान के लिए निःशुल्क बायो डि-कंपोजर का छिड़काव कर न सिर्फ किसानों की मदद कर रही है, बल्कि पराली जलने से होने वाले प्रदूषण को भी खत्म कर रही है.

वहीं, पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है और उसके धुएं का दिल्ली की हवा पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है. परिणाम स्वरूप ठंड के मौसम में दिल्ली का प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है.

1- 90 फीसद किसानों ने कहा है कि बायो डि-कंपोजर के छिड़काव के बाद 15 से 20 दिनों में पराली गल जाती है, जबकि पहले पराली को गलाने में 40-45 दिन लगते थे.
2- पहले किसानों को गेहूं की बुवाई से पहले 06-07 बार खेत की जुताई करनी पड़ती थी, जबकि बायो डि-कंपोजर के छिड़काव के बाद केवल 1 से 2 बार ही खेत की जुताई करनी पड़ी.
3- मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा 05 फीसद से बढ़कर 42 फीसद हो गई है.
4- मिट्टी में नाइट्रोजन मात्रा 24 फीसद तक बढ़ गई है.
5- मिट्टी में वैक्टीरिया की संख्या और फंगल (कवकों) की संख्या में क्रमशः 7 गुना और 3 गुना की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
6- मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के कारण गेहूं के बीजों का अंकुरण 17 फीसद से बढ़कर 20 फीसद हो गया.
7- 45 फीसद किसानों ने यह स्वीकार किया है कि बायो डि-कंपोजर के इस्तेमाल के बाद डीएपी खाद की मात्रा पिछले वर्ष की तुलना में 46 किलोग्राम प्रति एकड़ से घटाकर 36-40 किलोग्राम प्रति एकड़ हो गई है.
8- बायो डि-कंपोजर के छिड़काव के बाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ गई, जिसके चलते गेहूं की उपज 05 फीसद बढ़कर 08 फीसद हो गई.

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