देहरादून का परेड ग्राउंड रविवार को श्वान प्रेमियों के संगम का केंद्र बना रहा। यहां आयोजित डॉग-शो में लैब्राडोर, गोल्डन रिट्रीवर, बॉक्सर, तिब्बतियन मास्टिफ, अर्जेन्टीनो, मिनपिन, टॉय पूडल, फ्रेंच बुलडॉग, अमेरिकन कॉकर समेत विश्व की हाई ब्रीड डॉग्स ने हिस्सा लिया। हर ब्रीड अपने आप में खास थी, लेकिन ढाई लाख का तिब्बतियन मास्टिफ सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। खास बात यह भी रही कि यहां आए श्वान प्रेमी सभी दून के ही थे।
दून अंतरराष्ट्रीय कृषि एवं डेयरी मेले के अंतिम दिन हुए डॉग-शो में पहुंचे हाई ब्रीड के डॉग्स आकर्षण का केंद्र बने रहे। प्रतियोगिता में डॉग्स ने तरह-तरह के करतब दिखाकर दर्शकों की तालियां बटोरी। डॉग-शो में डीवीसीसी के संयुक्त सचिव रवि चौधरी निर्णायक रहे। मुख्य अतिथि हंस फाउंडेशन की संस्थापक माता मंगला, भोले जी महाराज ने श्वान प्रेमियों और पशुपालकों को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर पशुपालन निदेशक डॉ. केके जोशी, नवनीत चौधरी समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
चीन से इंपोर्ट किया ‘टाइगर’
डॉग-शो में ढाई लाख का तिब्बतियन मास्टिफ ब्रीड का ‘टाइगर’ ने सभी का ध्यान खींचा। देहरादून के श्वानप्रेमी राजीव शर्मा ने बताया कि उन्होंने यह तिब्बतियन मास्टिफ चाइना से इंपोर्ट करवाया था। इसका महीने के खान-पान व रखरखाव का खर्चा 20 हजार से ज्यादा है।
ये थी खास नस्लें
नाम कीमत
लैब्राडोर 10000-20000
फ्रेंच मास्टिफ 50000-150000
तिब्बतियन मास्टिफ 50000-300000
अर्जेंटिनो 30000-100000
रोटविलर 100000-500000
मिन-पिन 30000-80000
टॉय पूडल 50000-300000
फ्रेंच बुलडॉग 50000-200000
अमेरिकन कॉकर 25000-100000
जर्मन शेफर्ड 10000-100000
पशु-प्रेम में पीछे छूट गया कृषि प्रेम
तीन दिन तक चले राष्ट्रीय कृषि एंवं डेयरी मेले में दुधारू पशुओं और डॉग शो खासा चर्चित रहे। लेकिन, कृषि से जुड़े कार्यक्रमों पर खास जोर नहीं दिया गया। सिर्फ पशुपालक ही केंद्र में रहे। जबकि, मेले में कृषकों के लिए तमाम अत्याधुनिक तकनीकें, उपकरण, जैविक खेती की जानकारियां देने के लिए स्टॉल लगाई गई थी। ये अधिकांश समय खाली ही नजर आई।