अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के बीच हुई मुलाकात ने राजनीती चर्चा तेज
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के बीच जब से गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हुई है, तब से प्रदेश में आप कार्यकर्ताओं के दिल बैठे हुए हैं.
आम आदमी पार्टी को प्रदेश में पिछले कई सालों से आगे बढ़ाने में जुटे नेताओं की उम्मीदों पर ग्रहण लग गया है. अभी सपाध्यक्ष अखिलेश यादव और आप के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के बीच मुलाकातों का दौर अंदरखाने चल ही रहा है और गठबंधन पर फाइनल स्टांप नहीं लगा है, बावजूद इसके निराशा में डूबे आप कार्यकर्ताओं ने पार्टी का दामन छोड़ना शुरू कर दिया है.
निराश कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी का दामन छोड़ने की खबरें प्रदेश के हर हिस्से से आने लगी हैं. बाराबंकी के संगठन पर तो इसका काफी बुरा असर देखने को मिल रहा है. यहां पार्टी का नेटवर्क टूट गया सा लगता है.
प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं में यूथ विंग के प्रदेश सचिव अमित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है. उनके साथ कई कार्यकर्ता भी पार्टी छोड़ गए है. कानपुर और लखनऊ की इकाइयों व प्रदेश संगठन में भी विरोध के सुर लगातार फूट रहे हैं.
पहले तो आम आदमी पार्टी की आलाकमान द्वारा प्रदेश इकाई को निर्देश दिए गए कि वह सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी करे. जल्दबाजी में पार्टी ने पहले इस बात की घोषणा भी कर दी कि सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे.
इसके बाद विभिन्न सीटों के लिए 170 कैंडिडेट घोषित भी किए गए. पार्टी के इस निर्देश पर अमल करते हुए सभी विधानसभा प्रभारियों को मैदान में उतार दिया गया और भी अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार के काम लोगों को गिनाए जाने लगे.
जिन नेताओं के नाम प्रत्याशियों की सूची में थे, उन्होंने चुनाव सामग्री प्रचार सामग्री में पैसा लगा दिया पर अब अखिलेश यादव से चुनावी एलाइंस की चर्चा ने उन्हें झकझोर दिया है. वे यह मांग कर रहे हैं कि उनके खर्च और उनके अब तक के समर्पण का हिसाब कौन देगा.
अखिलेश यादव से गठबंधन करने के फैसले पर पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के कई नेता अब मीडिया में खुलकर बोलने लगे हैं. यूथ विंग प्रदेश सचिव पद से इस्तीफा दे चुके अमित पटेल ने अखिलेश यादव की सपा से गठबंधन पर एक टीवी चैनल से चर्चा में कहा था
कि हम पिछले 8 सालों से आप पार्टी को उत्तर प्रदेश में स्थापित करने गांव-गांव की खाक छान रहे हैं और अब जब चुनावी मैदान में आमने-सामने होने की बारी आई तो अखिलेश यादव के साथ खड़े होने की चर्चा सुनाई दे रही है.
चुनावी साल में इनके साथ आने से लोग हमें स्वार्थी समझ रहे हैं और कई तरह की बातें सुना रहे हैं. हमारा तो उन लोगों के आगे खड़ा होना ही मुश्किल हो गया था, तो ऐसे में मैंने इस्तीफा पहुंचाना ही उचित समझा.
पार्टी के एक अन्य नेता नीरज कुमार रावत जिन्हें पहले कुर्सी विधानसभा का प्रभारी बनाया गया था भी खासे आहत है. उनका कहना है कि जब संजय सिंह और अखिलेश यादव की मुलाकात का चित्र और खबर मीडिया में आई तो इससे उन पर बिजली गिर पड़ी.
वह तो लाखों खर्च कर चुनाव की तैयारी कर रहे थे. अब क्या सोचकर लोगों से वोट मांगे. नीरज ने भी मीडिया से चर्चा में चिंता जाहिर की कि अगर पार्टी का अखिलेश से गठबंधन फाइनल हो गया तो उनके जैसे परेशान कई कार्यकर्ता पार्टी से किनारा कर लेंगे.
आम आदमी पार्टी के बाराबंकी जिला अध्यक्ष वीरेंद्र पटेल ने भी मीडिया से बात करते हुए इस चुनावी गठबंधन के औचित्य पर सवाल खड़े किए हैं. वे इसे पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह का मनमाना फैसला मानते हैं.