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केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के साथ ही खत्म हुआ किसान आंदोलन

केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के साथ पिछले एक साल चल रहा किसान आंदोलन खत्‍म हो गया है. इसके साथ दिल्‍ली के टिकरी, सिंघु और यूपी-गाजीपुर बॉर्डर से किसान अपने अपने घरों के लिए लौटने लगे हैं.

इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है. उन्‍होंने कहा कि किसानों का एक बड़ा ग्रुप कल सुबह 8 बजे गाजीपुर बॉर्डर खाली कर देगा.

आज की बैठक में हम कुछ मुद्दों पर बात करेंगे, प्रार्थना करेंगे और उन लोगों से मिलेंगे जिन्होंने हमारी मदद की. वैसे लोगों ने बॉर्डर खाली करना भी शुरू कर दिया है, इसमें 4-5 दिन लगेंगे. साथ ही उन्‍होंने कहा कि मैं 15 दिसंबर को निकलूंगा.

इसके साथ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आज से किसान अपने-अपने घर जा रहे हैं, लेकिन हम 15 दिसंबर को घर जाएंगे क्योंकि देश में हजारों धरने चल रहे हैं, हम पहले उन्हें समाप्त करवाएंगे और उन्हें घर वापस भेजेंगे.

ट्रैक्टरों के बड़े-बड़े काफिलों के साथ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे आंदोलनरत किसानों ने शनिवार की सुबह अपने-अपने गृह राज्यों की तरफ लौटना शुरू कर दिया. साल भर से ज्यादा वक्त तक अपने घरों से दूर डेरा डाले हुए ये किसान अपने साथ जीत की खुशी और सफल प्रदर्शन की यादें लेकर लौट रहे हैं.

किसानों ने सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने

सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र के लिखित आश्वासन का जश्न मनाने के लिए एक ‘विजय मार्च’ निकाला. इसके साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों के अपने घरों के लिए रवाना होने

के साथ ही भावनाएं उत्साह बनकर उमड़ने लगीं. रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे और रंगीन पगड़ियां बांधे बुजुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए.

गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान जीतेंद्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने घर लौटने के लिए अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली तैयार करने में व्यस्त थे. उन्होंने कहा कि वह सैकड़ों अच्छी यादों के साथ और ‘काले’ कृषि कानूनों के खिलाफ मिली जीत के साथ घर जा रहे हैं.

बता दें कि किसान 11 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रहे हैं. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

इन कानूनों को निरस्त करने के लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था. हालांकि किसानों ने अपना विरोध समाप्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे

जिसमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी और उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लेना शामिल है. जैसे ही केंद्र ने लंबित मांगों को स्वीकार किया, आंदोलन की अगुवाई कर रही 40 किसान यूनियनों की छत्र संस्था,

संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर विरोध स्थलों से घर वापस जाएंगे.

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