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बीजेपी का यह नेता क्या बना पाएगा लगातार 11वीं बार विधायक बनने का रिकॉर्ड

 मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का चुनावी रण शुरू हो चुका है. इन सबके बीच प्रदेश में एक ऐसी सीट भी है जिस पर बीते दस विधानसभा चुनाव से कांग्रेस को जीत नहीं मिली है. भोपाल का गोविंदपुरा ऐसी ही एक विधानसभा सीट है. इस सीट से वर्तमान में बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर विधायक हैं. 1971 में पहली बार बाबूलाल को जनसंघ ने भोपाल से टिकट दिया था. हालांकि, वह ये चुनाव करीब 16 हजार वोटों से हार गए थे.  

1974 में बने थे पहली बार विधायक
गोविंदपुरा सीट से वर्तमान विधायक बाबूलाल गौर की चर्चा करना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि वह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहने के साथ ही इसी सीट से 10 बार विधायक रहे हैं. गोविंदपुरा विधानसभा सीट से लगातार 10 बार विधायक चुने गए गौर ने वर्ष 1974 से इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा है. 43 साल के अपने विधायक काल में उन्होंने मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बार विधायक चुने जाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है. कहा जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में गौर फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. वहीं, राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि वह इस बार अपनी बहू कृष्णा गौर के लिए बीजेपी से गोविंदपुरा सीट के टिकट की मांग कर सकते हैं.

हमेशा ही विवादों से चर्चा में रहे हैं गौर
बाबूलाल गौर का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. कुछ वर्ष पहले गौर बीजेपी की एक महिला कार्यकर्ता को गलत तरीके से छूने के कारण विवादों में आ गए थे. इस मामले में उनकी जबरदस्त किरकिरी हुई थी. दरअसल, भोपाल में नई बसों की शुरुआत करने गए गौर ने बस में चढ़ रही एक महिला को छू लिया था. इस घटना का वीडियो काफी वायरल हुआ था. वहीं, गौर अपने बयानों को लेकर भी हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. हाल ही में उन्होंने विधानसभा चुनाव में गोविंदपुरा सीट से ही फिर से उम्मीदवारी ठोंकने की बात कही थी. बता दें कि बीजेपी 75 साल से अधिक के नेताओं को बड़ा पद या चुनावी मैदान में उतारने से बचती है. 

गौर का राजनीतिक सफर
बाबूलाल गौर ने कपड़ा मिल में काम करते समय ही संघ के भारतीय मजदूर संघ में शामिल हुए थे. 1971 में जनसंघ ने उन्हें पहली बार भोपाल से मुझे विधानसभा का टिकट दिया था. वर्ष 1991 में मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की सरकार में गौर को अतिक्रमण के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने के कारण उन्हें बुल्डोजर मंत्री कहा जाने लगा था. वर्ष 2004 में उमा भारती के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद वह मध्य प्रदेश के सीएम बने थे. हालांकि, वह करीब 11 महीने ही सीएम रहे थे. 

कपड़ा मिल में करते थे मजदूरी
बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था. वह शुरुआत में कपड़ा मिल में मजदूरी किया करते थे. भोपाल की कपड़ा मिल में मजदूरी करते हुए उन्हें रोज एक रुपए मजदूरी मिलती थी. गौर का पूरा नाम बाबूराम गौर यादव है, लेकिन वह यादव को अपने नाम में नहीं जोड़ते हैं. 

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