आज मोक्षदा एकादशी जाने क्या है मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
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आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है, इसे मोक्षदा एकादशी कहते हैं. मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती भी मनाई जाती है. जो लोग आज मोक्षदा एकादशी का व्रत हैं. उनको भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए.
पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, विष्णु जी की आरती करें और मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें. इस कथा के श्रवण से ही व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
आप इस पुण्य को अपने पितरों को देकर मोक्ष दिला सकते हैं. जो व्रत रखता है, उसे भी विष्णु कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी व्रत कथा के बारे में.
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा के बारे में जानना चाहा, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उनको मोक्षदा एकादशी व्रत कथा सुनाई. उसके अनुसार, एक समय चंपकनगर में वैखानस नाम का राजा राज्य करता था.
उसे अपनी प्रजा बहुत प्रिय थी, वह सबका ध्यान रखता था. एक रात उसने बुरा सपना देखा. उसमें उसके पूर्वज नरक में हैं. वे लोग इस नरक से निकलने की प्रार्थना कर रहे हैं. अगले दिन वह दुखी मन से कुछ ब्राह्मणों के पास गया और सपने के बारे में बताया.
राजा ने उन ब्राह्मणों को सपने के बारे में बताया और सलाह मांगी. उन्होंने बताया कि यहां पास के पहाड़ पर एक ज्ञानी ऋषि का आश्रम है, उनको तीनों काल के बारे में पता है. आप उनसे मिलें, आपकी समस्या का समाधान वो कर सकते हैं.
यह सुनकर राजा उस ऋषि के पास पहुंचे. उन्होंने ऋषि को प्रणाम किया और कहा कि उनके पितर नरक में दुख भोग रहे हैं. इसका स्वप्न रात में देखा था. उनको मोक्ष कैसे दिलाएं? इसके लिए आप कुछ उपाय बताएं.
राजा वैखानस की बातें सुनकर ऋषि ने कहा कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत बहुत ही पुण्यकारी और मोक्ष देने वाला होता है. आपको इस एकादशी का व्रत करना चाहिए.
इस दिन आप विधिपूर्वक व्रत करें और दान-पुण्य करें. इस व्रत के पुण्य प्रभाव को अपने पितरों को दान कर दें. ऐसा करने से आपके पितरों को मोक्ष मिल जाएगा और वे नरक से निकल जाएंगे.
ऋषि के बताए अनुसार राजा ने मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी आने पर विधि विधान से व्रत किया. भगवान विष्णु की पूजा की और दान किया. फिर एकादशी के पुण्य को पितरों को दान कर दिया. इसके फलस्वरूप उस राजा के सभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो गई.