LIVE TVMain Slideदेशधर्म/अध्यात्म

धन-धान्य की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करे इन मंत्रो का जाप

धन-धान्य की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार का व्रत रखते हैं. इस दिन माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप और विधिपूर्वक पूजन मुख्य उपाय होता है. इस दिन सफेद मिठाई का भोग लगाया जाता है. मंत्र जाप के अलावा और भी कई ऐसे उपाय हैं,

जिनसे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इन उपायों में से एक है कनकधारा स्तोत्र है. कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपार धन संपदा देती हैं. आइए जानते हैं कनकधारा स्तोत्र के बारे में.

आज शुक्रवार के दिन आपको माता लक्ष्मी की पूजा के समय कनकधारा यंत्र की स्थापना अपने पूजा घर में करना चाहिए. इसके बाद माता लक्ष्मी के आशीर्वाद के लिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. यह संस्कृत में दिया गया है, इसलिए इसके सही उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए.

कनकधारा स्तोत्र में माता लक्ष्मी जी की विशेषताओं का गुणगान किया गया है. इसमें बताया गया है कि माता लक्ष्मी ने देवताओं के राजा इंद्र को सबकुछ प्रदान किया था, जब वे श्रीहीन हो गए थे. भगवान विष्णु की प्रिया माता लक्ष्मी के स्वरूप का वर्णन किया गया है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कनकधारा स्तोत्र की रचना आदिगुरु शंकराचार्य ने किया था. कनकधारा का अर्थ है सोने की धारा. कहा जाता है ​कि जब आदिगुरु शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र का पाठ किया, तो माता लक्ष्मी प्रसन्न हो गईं और उनके समक्ष सोने की धारा खोल दी.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक दिन आदिगुरु शंकराचार्य भिक्षा के लिए एक गरीब ब्रह्मण महिला के घर गए. लेकिन उसके पास उनको देने के लिए कुछ न था. घर में केवल कुछ आंवले पड़े थे. वह संकोचवश आंवला लेकर ही आई और शंकराचार्य को दे दिया. यह देखकर शंकराचार्य बहुत प्रसन्न हुए कि उसके पास जो था, वह लेकर आई है.

शंकराचार्य ने तत्काल वहीं पर माता लक्ष्मी को ध्यान करके 22 श्लोकों के कनकधारा स्तोत्र की रचना की. इससे प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी प्रकट हो गईं और पूछा कि तुम्हारी क्या इच्छा है. तब शंकराचार्य ने कहा कि इस गरीब महिला की दरिद्रता को दूर कर दीजिए.

माता लक्ष्मी ने कहा कि यह इसके पूर्व जन्मों का फल है, उसने अपने पूर्व जन्म में कोई दान नहीं दिया, इसलिए इस समय यह दरिद्र है. कहा जाता है ​कि शंकराचार्य के दोबारा प्रार्थना करने पर माता लक्ष्मी ने उस महिला के घर सोने के आंवले की वर्षा की. इस प्रकार से कनकधारा स्तोत्र की रचना हुई.

Related Articles

Back to top button