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साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी 22 दिसंबर को विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी दुख होंगे दूर

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद पौष माह की शुरुआत हो गई है. पौष माह की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. संकष्टी चतुर्थी भगवान श्री गणेश जी को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं

और मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. पौष माह में 22 दिसंबर के दिन चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी का व्रत इस साल का आखिरी व्रत है. इस दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त और चंद्रमा का उदय समय.

पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 22 दिसंबर, बुधवार को शाम 04:52 बजे से शुरु होगी. और इस तिथि का समापन 23 दिसंबर, गुरुवार को शाम 06:27 बजे होगा. संकष्टी चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय 22 दिसंबर को होगा, इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत 22 दिसंबर को रखा जाएगा.

बता दें कि इस साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत इंद्र योग में रखा जाएगा, जो कि 12:04 बजे तक है. ऐसे में आप चाहें तो सुबह से लेकर दोपहर 12 बजे के मध्य तक भगवान श्रीगणेश की पूजा कर सकते हैं.

संकष्टी चतुर्थी 22 दिसंबर को चंद्रमा रात 08:12 बजे उदय होगा. इस दिन चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत पारण किया जाता है. चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद ही पारण किया जाता है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. भगवान श्रीगणेश की कृपा से सभी कार्य सफल और सिद्ध होते हैं.

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