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राज्यसभा के सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग पर अड़ा विपक्ष

विपक्ष ने रविवार को राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे को हल करने के लिए सरकार द्वारा चार दलों के नेताओं को भेजे गए निमंत्रण को खारिज किया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

राज्यसभा में नेता पीयूष गोयल द्वारा सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर चर्चा और इसके समाधान के लिए बैठक के आह्वान के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार सुबह बैठक के लिए

चार राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था. विपक्षी दलों ने शीतकालीन सत्र के आखिरी सप्ताह के दौरान अपनी साझा रणनीति तैयार करने के लिए सोमवार सुबह एक बैठक बुलाने का निर्णय लिया है.

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जोशी को लिखे पत्र में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं के बजाय केवल चार दलों को आमंत्रित किया. तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘

एक ऐसी सरकार का सोमवार सुबह का ‘स्टंट’ जोकि संसद को संचालित नहीं होने देना चाहती. सरकार ने उन चार दलों के नेताओं को बुलाया है जिनके 12 राज्यसभा सदस्यों को मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया गया.’

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था.

इनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं.

विपक्ष इन सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहा है जबकि सरकार अड़ी है कि जब तक ये सदस्य माफी नहीं मांगेंगे तब तक उनका निलंबन रद्द नहीं किया जाएगा. इसी वजह से सदन में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है और कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है.

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