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मथुरा -वृंदावन में वृंदावन हेरिटेज कॉरिडोर को तीन फेज में तैयार करने की बनी योजना

मथुरा -वृंदावन में रहने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. जल्द ही यमुना एक्सप्रेसवे के पास वृंदावन हेरिटेज कॉरिडोर बसने जा रहा है. यमुना अथॉरिटी हेरिटेज कॉरिडोर को बसाने का काम करेगी. जीप में बैठकर कॉरिडोर में बसे गोकुल-नंदगांव और बरसाना को देखने का मौका मिलेगा.

तीनों गांव में राधा-कृष्ण की लीलाएं दिखाई जाएंगी. जीप से तीनों गांवों में दिखाई जाने वालीं लीलाएं देखने का भी मौका मिलेगा. गांवों की परिक्रमा के लिए पाथ वे बनेगा. गांव में पानी के कुंड भी बनाए जाएंगे.

गांव में ही ऐसा भागवत कथा वाचनालय बनाया जाएगा जहां 24 घंटे होगी भागवत कथा सुनाई देगी. इतना ही नहीं यमुना नदी के किनारे रिवर फ्रंट भी तैयार किया जाएगा. यमुना अथॉरिटी की मंशा है कि कम से कम एक रात पर्यटक मथुरा-वृंदावन में जरूर रुके.

ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने वाली अमेरिकी कंपनी सीबीआरई ने डीपीआर का प्रेजेंटेशन देते हुए बताया कि वृंदावन हेरिटेज कॉरिडोर में धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ ब्रज की संस्कृति को दिखाया जाए जिससे मथुरा-वृंदावन आने वाले लोग यहां पर आकर रुक सकें.

ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाते समय कंपनी ने वियतनाम और मलेशिया के शहरों का अध्ययन भी किया है. नई हेरिटेज सिटी को 9350 हेक्टेयर में बसाया जाएगा तो पहले चरण में 731 हेक्टेयर में टूरिज्म जोन और 110 हेक्टेयर में रिवर फ्रंट विकसित किया जाएगा.

नए शहर में श्रीकृष्ण के द्वापरकालीन इतिहास को भी दिखाया जाएगा. यहां लाइट एंड साउंड शो के जरिये कृष्णलीला को दिखाया जाएगा. श्रीमद्भगवद गीता के वाचन के लिए अलग से केंद्र बनाए जाएंगे.

इस इलाके के अध्यात्म को सहेजने के लिए एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा. सीबीआरई कंपनी ने यमुना प्राधिकरण को ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी है. अब यह रिपोर्ट मंजूरी के लिए यूपी सरकार के पास भेज दी गई है. इसके बाद इस सिटी को विकसित करने के लिए आगे की कार्रवाई शुरू की जा जाएगी.

डीपीआर में बताया गया है कि इस इलाके में होटल की डिमांड ज्यादा है, इसलिए राया सिटी के आसपास होटल बनाए जाएं. इसके अलावा यहां पर रिजॉर्ट, वेलनेस सेंटर और एंडवेंचर को भी विकसित किया जाए, जिससे कि यहां आने वाले लोगों को हर तरह का अनुभव मिले. राया हेरिटेज सिटी में सबसे पहले पर्यटन जोन और रिवर फ्रंट विकसित करने की योजना है.

गौरतलब रहे नए शहर में सड़कों पर रेड लाइट नहीं होगी. कमर्शियल वाहनों के लिए अलग लेन होगी. बिजली के तार अंडरग्राउंड होंगे. पानी की निकासी के लिए खुले नाले-नाली नहीं होंगे. सीवेज के पानी को ट्रीट करने के बाद पौधों को सींचने में इस्तेमाल किया जाएगा. शहर के कूड़े को रीसाइकल कर उसे शहर में ही इस्तेमाल किया जाएगा.

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