25 व 26 दिसम्बर को दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन का होगा आयोजन
संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान-विज्ञान परम्परा की संवाहिका रही है। इसे देव भाषा भी कहा जाता है। यह भाषा आमजन की भाषा बन सके इस मंशा को साकार करने के लिए संस्था संस्कृतभारती न कि निरंतर प्रयत्नशील है बल्कि संवर्धन हेतु 25 व 26 दिसम्बर को संस्कृतभारती अवध प्रान्त का दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन एसआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स बीकेटी में किया जा रहा है। सम्मेलन में अवध प्रान्त के 13 जनपदों के संस्कृत सेवकों का समागम होगा। यह संस्कृत सेवक प्रदेश में निरंतर संस्कृत भाषा के उत्थान में निरंतर कार्य कर रहे हैं।
संस्कृतभारती लखनऊ के महानगर अध्यक्ष और सम्मेलन के संयोजक बृजेश ने बताया कि दो दिवसीय सत्र का उद्घाटन 25 को अपरान्ह 2:30 बजे होगा जबकि 26 दिसम्बर को शाम 04 बजे सत्र की समाप्ति होगी। सह संयोजक विनोद ने बताया कि संस्कृत भाषा के उत्थान से ही राष्ट्र का उत्थान संभव है। संस्कृत सरल, मधुर भाषा तो है ही उससे सदाचार व शिष्टाचार उत्पन्न होता है। इस लिहाज से संस्थान पिछले 34 वर्षों से इस दिशा में प्रयासरत हैं। जिसके क्रम प्रांत में निरंतर संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन कर लोगों को बोल चाल में संस्कृत भाषा की शिक्षा दी जा रही है।
इन जनपदो के संस्कृत सेवक लेंगे भाग
संस्कृतभारती अवधप्रान्त के प्रांतीय सम्मेलन में 13 जिलों के संस्कृत सेवकों का समागम होगा सम्मेलन के संयोजक बृजेश ने बताया कि सम्मेलन में अवध प्रांत के लखनऊ समेत सीतापुर, लखीमपुर, श्रावस्ती, बहराइच, गोंडा, अयोध्या, बलरामपुर, अम्बेडकर नगर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली व बाराबंकी के संस्कृत सेवक भाग ले रहे है।