महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की मनी लांड्रिंग केस में बढ़ी मुश्किलें

मनी लांड्रिंग केस में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई के पीएमएलए कोर्ट में दायर 700 पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में अनिल देशमुख को मुख्य अभियुक्त बनाया है. इसके साथ ही, महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री के दोनों बेटों का भी इस चार्जशीट में नाम शामिल किया गया है.
इससे पहले, दिल्ली की एक अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर क्लीन चिट देने वाली रिपोर्ट लीक होने में उनकी भूमिका की जांच करने का एजेंसी को निर्देश दिया.
विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि मामले में सीबीआई के आरोप-पत्र में भले ही उनको आरोपी नहीं बनाया गया हो लेकिन वह बड़े षड्यंत्र के नियंत्रक हो सकते हैं क्योंकि प्रारंभिक जांच की सामग्री लीक होने से सबसे ज्यादा लाभ उन्हें ही होता.
अदालत बुधवार को सीबीआई के उपनिरीक्षक अभिषेक तिवारी, देशमुख के वकील आनंद डागा और नेता के सोशल मीडिया प्रबंधक वैभव गजेंद्र तुमाने के खिलाफ दाखिल उस आरोप-पत्र का संज्ञान ले रही थी जिसमें उन पर बंबई उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व मंत्री के खिलाफ निर्देशित प्रारंभिक जांच को कथित तौर पर पलटने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है.
न्यायाधीश ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी व्यक्ति यानी डागा और तुमाने अनिल देशमुख के साथ घनिष्ठता से जुड़े हुए थे और हो सकता है कि वे उनके साथ मिलकर काम कर रहे हों, जो कि बड़ी साजिश को नियंत्रित करने वाला दिमाग हो सकता है,
जबकि आरोपी व्यक्ति केवल जरिया हो सकते हैं, क्योंकि वह (देशमुख) उक्त प्रारंभिक जांच और आरसी (मामले) की सामग्री के लीक होने के मुख्य लाभार्थी थे.” उन्होंने कहा कि साजिश का सामान्य उद्देश्य अवैध और गुप्त तरीके से प्रारंभिक जांच
Enforcement Directorate names former Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh as the main accused in the 7000-page supplementary chargesheet filed in the money laundering case in PMLA Court,Mumbai
— ANI (@ANI) December 29, 2021
The two sons of Anil Deshmukh have also been named in the chargesheet.
(file pic) pic.twitter.com/lm1AAIMmug
और मामले में किसी तरह की जांच तक पहुंच हासिल करना था, और उसके बाद इसका उपयोग तथा प्रसार करना, और उसी की प्राप्ति के लिए, एक के बाद एक साजिश रचना प्रतीत होता है जिसे संभवत: उपरोक्त आरोपी व्यक्तियों ने अंजाम दिया हो.
अदालत ने कहा, “ऐसा लगता है कि सीबीआई ने गाड़ी खींचने वाले इंजन/घोड़े को छोड़ दिया है, जिससे केवल गाड़ी में यात्रा करने वालों पर ही आरोप लगाया जा रहा है, हालांकि इंजन या घोड़े द्वारा खींचे बिना गाड़ी की सवारी या साजिश संभव नहीं होती.
स्पष्ट तौर पर मौजूद कई सबूतों के बावजूद, ऐसा लगता है कि सबसे अच्छी तरह से ज्ञात कारणों को जानते हुए भी, सीबीआई ने केवल जरियों को आरोपी बनाया है जबकि डोर थामने वाले दिमाग या मास्टर माइंड व्यक्ति को छोड़ दिया है, इसलिए सीबीआई को निर्देश दिया जाता है
कि वर्तमान मामले में अनिल देशमुख की भूमिका की पूरी तत्परता के साथ सावधानीपूर्वक और पूरी तरह, एक समयबद्ध तरीके से जांच की जाए.” उसने एजेंसी को इस संबंध में चार सप्ताह के भीतर “बिना किसी विफलता के” स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. महाराष्ट्र के पूर्वगृह मंत्री देशमुख के खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों की जांच चल रही है.