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मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव परिसीमन और आरक्षण को लेकर मचा घमासान जल्द होगा नया अध्यादेश जारी

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव परिसीमन और आरक्षण को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा. शिवराज सरकार के पंचायत चुनाव कराए जाने के अध्यादेश को वापस लेने के बाद 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय लागू किया गया कानून अस्तित्व में आ गया था.

यानी, कांग्रेस ने जो परिसीमन और आरक्षण की व्यवस्था की थी वह फिर से लागू हो गई थी. लेकिन शिवराज सरकार ने एक बार फिर नया अध्यादेश जारी कर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय की व्यवस्था पर ग्रहण लगा दिया है.

जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में पंचायतों का परिसीमन अब नए सिरे से किया जाएगा. इसके साथ ही जनपद और जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और वार्ड का विभाजन भी नए सिरे से होगा.

प्रदेश सरकार ने एक बार फिर मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश जारी किया है. राज्यपाल मंगू भाई पटेल की अनुमति मिलने से विधि विभाग ने ग्राम पंचायत राज एवं ग्राम संशोधन के लिए अध्यादेश की अधिसूचना जारी की है.

यानी साल 2019 में लागू हुआ परिसीमन फिर से निरस्त हो गया है अब नए अध्यादेश के तहत परिसीमन के आधार पर पंचायतों का गठन किया जाएगा.

दरअसल, राज्य सरकार के पंचायत चुनाव अध्यादेश को वापस लेने से 1227 नई पंचायतें फिर से वजूद में आ गई थीं. बता दें, कांग्रेस सरकार के समय हुए परिसीमन और आरक्षण को लेकर लंबे समय से सियासत गर्म है.

लेकिन, अब राज्य सरकार आगामी पंचायत चुनाव को नए सिरे से परिसीमन के आधार पर कराने की तैयारी में है और यही कारण है कि राज्य सरकार ने नया अध्याय 23 लागू कर दिया है.

दूसरी ओर, मजेदार बात ये भी है कि पंचायत चुनाव भले ही निरस्त हो गए हों, लेकिन इन चुनाव के जरिए गांव की सरकार पर कब्जा जमाने की उम्मीद में लगे उम्मीदवारों को बड़ा झटका लगा है.

सिर्फ प्रचार में ही नहीं बल्कि नामांकन दाखिल करने से पहले जमा होने वाले नोड्यूज के नाम पर उम्मीदवारों ने अपने बकाया बिलों की अदायगी कर दी, जिससे सरकार को करोड़ों का फायदा हो गया.

दरअसल, पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह अनिवार्य किया था कि उनके ऊपर किसी भी तरीके का सरकारी राशि का बकाया ना

हो जिसमें पंचायत के टैक्स और बिजली बिल के बकाया राशि शामिल थी.पहले और दूसरे चरण के पंचायत चुनाव के लिए 2 लाख 17 लाख उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए थे.

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