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जयपुर में स्वच्छता सर्वेक्षण 2.0 की हुई शुरुआत

स्वच्छता सर्वेक्षण 2.0 की शुरुआत के साथ डॉक्यूमेंटेशन का काम शुरू हो गया है. फरवरी में तैयारियों को परखने के लिए टीम आएगी. ऐसे में एक महीने का ही दोनों नगर निगमों के पास तैयारी का समय बचा है.

राजधानी के दोनों नगर निगमों की बात करें तो सर्वेक्षण के लिहाज से अभी तक तैयारी शून्य ही नजर आ रही है. जबकि इस बार सर्वेक्षण की परीक्षा को और सख्त कर दिया गया हैं.

स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 की सफाई रैंकिंग में फिसड्डी साबित हुए. नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज 2022 के स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर भी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. जबकि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण की परीक्षा में पास होने वाली डगर बहुत कठिन है.

दोनों नगर निगमों को नए सिरे से परीक्षा की तैयारी करने की शहरी सरकारों की जरूरत थी. इसके उलट निगम अब तक मूलभूत जरूरतों में भी फिसड्डी साबित हो रहे हैं.

कचरा संग्रहण से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर सफाई और प्रतिबंधित कैरी बैग पर पूर्णत: बंद करने से लेकर कचरा बीनने वाले लोगों को लेकर भी काम करने की जरूरत है.

-सर्वेक्षण के नए रूप में कई बदलाव किए गए है। इसी के तहत अंकों में भी बढोत्तरी
-इस बार सर्वेक्षण 6 की बजाय 7500 अंकों का होगा।
-इसमें सर्विस लेवल प्रोग्रेस के अंक 2400 से बढ़ाकर 3 हजार, सिटी वॉयस और सर्टिफिकेशन के अंक 1800-1800 से बढ़ाकर 2250 किए गए हैं।

-सर्विस लेवल प्रोग्रेस के अंक 2400 से बढ़ाकर 3 हजार, सिटी वॉयस और सर्टिफिकेशन के अंक 1800-1800 से बढ़ाकर 2250 किए गए हैं।
-कुल 7500 में 40 प्रतिशत सर्विस लेवल प्रोग्रेस और 30-30 प्रतिशत सिटी वॉयस और सर्टिफिकेशन के अंक रखे गए हैं।

-घर-घर कचरा संग्रहण पर अब तक कोई काम नहीं हुआ है। हैरिटेज में कम्पनी को हटा दिया, लेकिन अब तक निगम व्यवस्था को पटरी पर नहीं ला पाया है। ग्रेटर में भी गीला—सूखा कचरा अलग—अलग नहीं हो रहा है।
-व्यवसायिक क्षेत्रों में दो बार झाड़ू, वाटर स्पे, आवासीय क्षेत्रों में एक बार झाड़ू लगाना अनिवार्य है।
-नाला व वाटर बॉडी को कचरा मुक्त और अतिक्रमण मुक्त रखना होगा। प्रत्येक 50 मीटर पर कचरा पात्र रखना भी जरूरी है।
-प्रतिबंधित पॉलीथिन की बिक्री, उपयोग और भंडारण पर पूर्णत: रोक लगाई जाए।
-कचरा बीनने वालों की सुरक्षा, उनको आई कार्ड, ट्रेनिंग आदि भी देना जरूरी है।
-घरेलू हानिकारक कचरे के एकत्र करने और निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी।
-निर्माण के दौरान निकलने वाले कचरे का अब तक निगम निस्तारण की योजना नहीं बना पाए हैं।

-फीडबैक को भी दो आयुवर्ग में में बांटा गया है। इसमें 15 से 29 साल आयुवर्ग के लोगों से 10 सवालों के जवाब लिए जाएंगे, जबकि सीनियर सिटीजन में 60 वर्ष व इससे बड़े लोगों से चार सवाल पूछकर फीडबैक लिया जाएगा।

-सामाजिक समारोह में कचरे को रोकने के लिए जीरो वेस्ट वेडिंग और इंवेंट को बढ़ावा होगा. इंदौर से लेकर भोपाल में इस पर काम शुरू हो गया है.
-खुले में पेशाब करने से रोकने के लिए स्वच्छता एप के माध्यम से येलो स्पॉट की पहचान करने के विकल्प देने होंगे.
-जनप्रतिनिधियों को अभियान से जोड़ना होगा। मौजूदा स्थिति की बात करें तो एक साथ पार्षदों की बैठक नहीं हुई है।

सर्वेक्षण में कोरोना प्रवंधन को भी शामिल किया गया है. कोरोना में कैसी व्यवस्था रही. वैक्सीनेशन कितना हुआ, सफाईकर्मियों को कितने पीपीई किट दिए गए. इन सभी को आधार पर बनाकर अंक दिए जाएंगे.

बहरहाल, वर्तमान की स्थितियों को देखते हुए दोनों नगर निगम बेहतर सफाई का दावा कर रहे हो लेकिन कचरे से अटी सड़कें उन दावों की कलई खोलती हुई नजर आ रही है.

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