जम्मू कश्मीर

राष्ट्रीय उच्चतर अभियान (रूसा) के तहत जम्मू विश्वविद्यालय का कायाकल्प होगा.

 राष्ट्रीय उच्चतर अभियान (रूसा) के तहत जम्मू विश्वविद्यालय का कायाकल्प होगा। सामूहिक लैबोरटरी का निर्माण होगा। हर विभाग में लैबों का आधुनिकीकरण किया जाएगा। बुनियादी ढांचा मजबूत होगा। इसके लिए एक सौ करोड़ रुपये मंजूर हो चुके हैं।

विश्वविद्यालय में विभागीय आधार पर बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय को मसौदा पहले ही भेजा जा चुका है। जम्मू विश्वविद्यालय में फिजिक्स विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर नरेश पाधा को राष्ट्रीय उच्चतर अभियान का कोऑर्डिनेटर बनाया गया है। उनकी देखरेख में ही विश्वविद्यालय में कामकाज होंगे।

वीसी ने इसका अलग से कार्यालय भी स्थापित करवा दिया है। सहायक रजिस्ट्रार की नियुक्ति करवा दी गई है। एक सप्ताह में पच्चीस करोड़ रुपये की पहली किश्त आते ही कामकाज शुरू हो जाएगा। हालांकि जम्मू विवि स्टेट विश्वविद्यालय है लेकिन राज्य सरकार की तरफ से विश्वविद्यालय को सीमित वित्तीय संसाधन ही मिलते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय को अपने तौर पर संसाधन जुटाने के लिए कहा जाता है।

अगर फीस में अधिक बढ़ोतरी की जाती है तो विद्यार्थियों पर बोझ पड़ता है। इसलिए विश्वविद्यालय को धन की सख्त जरूरत होती है। ऐसे में रूसा के तहत मिलने वाली धनराशि का महत्व और भी बढ़ गया है। अब देखना यह है कि विवि प्रबंधन पैसे का उपयोग किस तरह से करता है। इससे करीब सात वर्ष पहले यूजीसी से कैंपसों के विस्तार के लिए मिले 112 करोड़ रुपये खर्च करने में विश्वविद्यालय नाकाम रहा था। अस्सी करोड़ से अधिक की धनराशि लैप्स हो गई।जम्मू विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स विभाग के प्रो. जसबीर सिंह को सेंट्रल लाइब्रेरी का नया इंचार्ज चीफ लाइब्रेरियन नियुक्त किया गया है।

चीफ लाइब्रेरियन के पद से स्टेटिक्स विभाग के प्रो. राहुल गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया था। राहुल गुप्ता के पास मैथेमेटिक्स विभाग के डीन का पद था। उनके डीन के पद को कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रो. वीके मनसोत्र ने न्यायालय में चुनौती दी। न्यायालय ने प्रो. मनसोत्र के हक में फैसला सुनाया। इसके बाद विवि ने फैसले पर अमल करते हुए राहुल गुप्ता को डीन पद छोड़ने के लिए कहा। राहुल ने चीफ लाइब्रेरियन का पद भी छोड़ दिया।

नैक की मान्यता करें हासिल

जम्मू कश्मीर में अधिकतर डिग्री कॉलेजों के पास नेशनल एक्रीडेशन व असेसमेंट काउंसिल की मान्यता नहीं है। कॉलेजों में पर्याप्त बुनियादी ढांचा व सुविधाओं की कमी है। जम्मू विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय के बाद अब राज्यपाल के सलाहकार खुर्शीद अहमद गनई ने भी कॉलेजों के प्रसिपलों से कहा है कि वे नैक से मान्यता हासिल करने के लिए आवेदन करें। जिनके पास सुविधाओं की कमी है, वो बुनियादी ढांचे के लिए उच्च विभाग से सहयोग लें। की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए नैक की मान्यता बहुत जरूरी है। 

आधुनिकीकरण में पिछड़ा जम्मू विवि

सूचना तकनीक के युग में भी जम्मू विश्वविद्यालय ने सिस्टम के आधुनिकीकरण में कोई अहम फैसले नहीं किए हैं। आज भी वही हाल है जो वर्षो पहले था। परीक्षा, रिवेल्यूएशन फार्म की फीस जमा करवाने के लिए विद्यार्थियों को लंबी कतारों में लगना पड़ता है। परीक्षा फार्म का स्वरूप ऐसा है जो वर्षो पहले था। फार्म अटेस्ट करवाने के लिए विद्यार्थियों को विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

अधिकतर विभागों में अध्यापकों ने अपने दरवाजों पर लिख कर रखा है कि नो अटेस्टेशन प्लीज। आज के दौर में एक तरफ जहां ऑनलाइन फार्म भरने और फीस जमा करवाने की व्यवस्था है, वहीं जम्मू विवि अभी भी बाबा आदम के जमाने पर चल रहा है। डिस्टेंस एजूकेशन विभाग में ऑनलाइन फार्म भरे जाते हैं और फिर फिजिकल रूप में फार्म विभाग मे जमा करवाए जाते है।

Related Articles

Back to top button