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मुख्यमंत्री ने ‘स्टेट रजिस्टर ऑफ लार्ज डैम्स उत्तर प्रदेश’ पुस्तक का विमोचन किया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां लोक भवन में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की सिंचाई, बाढ़ एवं पम्प नहरों तथा नलकूपों की 227 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया, जिनकी लागत
5799 करोड़ रुपये है। इनमें 5214.02 करोड़ रुपये लागत की 203 परियोजनाओं का लोकार्पण एवं लगभग 585 करोड़ रुपये लागत की 24 परियोजनाओं का शिलान्यास शामिल है।  
मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि विगत 05 वर्षाें में राज्य के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने सिंचाई, बाढ़ एवं पम्प नहर तथा नलकूप परियोजनाओं के साथ-साथ जल जीवन मिशन से जुड़ी परियोजनाएं को तय समय में पूरा करके आमजन के कल्याण के कार्याें को आगे बढ़ाया है। इन कार्याें से आज प्रदेश की एक नयी तस्वीर सबके सामने है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार ने दशकों से लम्बित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का कार्य किया है। जब परियोजनाएं दशकों तक लम्बित रहती हैं, तो परियोजनाओं की लागत बढ़ जाती है। जब परियोजनाएं समय से पूरी होती हैं तो लोगों को समय से लाभ भी प्राप्त होते हैं। प्रदेश सरकार ने विगत 4.5 वर्षाें में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से 18 वृहद एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को समयबद्ध ढंग से पूरा करने का कार्य किया है। इन 18 परियोजनाओं में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, बाण सागर सिंचाई परियोजना तथा अर्जुन सहायक परियोजना प्रमुख है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से वर्ष 2018 में बाण सागर सिंचाई परियोजना को देश को समर्पित किया गया। कुछ दिन पूर्व ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के 09 जनपदों को जोड़ने वाली एवं लगभग 10,000 करोड़ रुपये लागत की सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना प्रदेशवासियों को समर्पित की जा चुकी है। इस परियोजना द्वारा सरयू नदी को घाघरा नदी से, घाघरा नदी को राप्ती नदी से, राप्ती नदी को बाणगंगा नदी से, बाणगंगा नदी को रोहिन नदी से जोड़ने का कार्य किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र की अर्जुन सहायक परियोजना, रसिन बांध परियोजना तथा बन्डई बांध परियोजना का भी लोकार्पण किया जा चुका है। इन परियोजनाओं से बुन्देलखण्ड के खेतों की सिंचाई के लिए पानी प्राप्त हो रहा है। लगभग 45,000 करोड़ रुपये लागत की केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए प्रदेश सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार में सहमति बन चुकी है तथा केन्द्र सरकार की अनुमति भी प्राप्त हो चुकी है। इस लिंक परियोजना से बुन्देलखण्ड क्षेत्र की सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी तथा पेयजल की समस्या दूर होगी। केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश सरकार मार्च, 2022 तक बुन्देलखण्ड के हर गांव में ‘हर घर नल योजना’ द्वारा हर घर को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है।  
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों के कल्याण एवं उनके सम्मान को प्राथमिकता पर रखते हुए सिंचाई एवं पेयजल की योजनाओं को तय समय पर पूरा कराने का कार्य किया है। राज्य सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षाें में 16.5 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा प्रदान की है। प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को बिना भेदभाव के निर्बाध बिजली उपलब्ध करा रही है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना द्वारा किसानों को सोलर पम्प प्रदान किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल में बाढ़ नियंत्रण एवं रोकथाम के प्रभावी उपाए किये हैं। प्रदेश मंे हिमालयी नदियों के प्रवाह से वर्षा काल मंे बाढ़ की समस्या हो जाती है। 05 वर्ष पहले प्रदेश के लगभग 40 जनपद बाढ़ से प्रभावित रहते थे। प्रदेश सरकार ने इन संवेदनशील स्थलों को चिन्हित करते हुए समय से कार्ययोजनाओं को क्रियान्वित कराके, नदियों की ड्रेजिंग एवं उनके चैनलाइजेशन तथा तटबन्धों की मरम्मत के कार्याें द्वारा प्रभावी बाढ़ नियंत्रण किया है। विभाग द्वारा बाढ़ आने से पूर्व बाढ़ नियंत्रण के सभी कार्य पूरे किये जा रहे हैं। परिणामस्वरूप लोगों की जान-माल का नुकसान कम हुआ है और बाढ़ प्रभावित जनपदों की संख्या 03 से 04 रह गयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने बेहतर कार्य योजना एवं ईमानदारी के साथ उत्कृष्ट कार्य किये हैं। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की कार्य प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन आया है। विभाग ने ट्रांसफर, पोस्टिंग के कार्याें को पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ा है। अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कार्य करने का बेहतर वातावरण एवं सुरक्षा प्राप्त हुई है। विभाग व्यवस्थित रूप से समयबद्ध ढंग से ईमानदारी के साथ कार्ययोजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग जल शक्ति विभाग के रूप में बदल गया है। जल शक्ति विभाग की कार्यशैली एवं निस्पादन क्षमता के परिणामस्वरूप विभाग के प्रति जनविश्वास बढ़ा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा ऊपरी गंगा नहर, पूर्वी गंगा नहर, निचली गंगा नहर, मध्यगंगा नहर, शारदा नहर, गण्डक नहर, शारदा सहायक नहर, अपर यमुना नहर, बाणसागर नहर, सरयू नहर, बेतवा नहर एवं अपर आगरा नहर प्रमुख नहर प्रणालियां संचालित की जा रही हैं। सिंचाई साधनों में उत्तरोत्तर वृद्धि हेतु प्राकृतिक जल संसाधनों का उपयोग कर वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं के सृजन एवं निर्माण हेतु सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विभाग 15 मई तक बाढ़ बचाव से जुड़े सभी कार्याें को पूर्ण करे। रेनकट, रेनहोल, नदियों की ड्रेजिंग एवं चैनलाइजेशन तथा तटबन्धों की मरम्मत के कार्याें को समयबद्ध ढंग से पूरा करें। नदी की डेªजिंग से निकलने वाली सिल्ट का उपयोग विभाग अपने खर्च को व्यवस्थित करने में कर सकता है। उन्हांेने कहा कि विगत 4.5 वर्षाें में विभाग की छवि मंे सकारात्मक परिवर्तन आया है। गांव, गरीब, किसान सहित आमजन के मन में एक नये विश्वास के रूप में जल शक्ति विभाग आगे बढ़ा है। विभाग को जनता व जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद स्थापित करते हुए उनके प्रस्तावों को समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाने के कार्याें को निरन्तर जारी रखना होगा।  
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने ‘स्टेट रजिस्टर ऑफ लार्ज डैम्स उत्तर प्रदेश’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा, अपर मुख्य सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन श्री टी0 वेंकटेश सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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