जनता कांग्रेस के मुखिया अजीत जोगी ने चुनाव न लड़ने की घोषणा कर…..
जनता कांग्रेस के मुखिया अजीत जोगी ने चुनाव न लड़ने की घोषणा कर छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के समीकरणों को बदल दिया है. कांग्रेस जहां एक ओर अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस पर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगा रही है, वहीं बीजेपी ने अजीत जोगी पर बसपा के हाथों की कठपुतली बनने का आरोप लगाया है. विधानसभा चुनाव 2018 से ठीक पहले सूबे के बदलते सियासी मिजाज के बारे में जी-डिजिटल के प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट अनूप कुमार मिश्र ने जनता कांग्रेस के सह-संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी से बातचीत की. प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
प्रश्न: कभी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को चुनौती देने की बात कहने वाले अजीत जोगी अब चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. अचानक इस फैसले की वजह क्या रही?
अमित जोगी: यह फैसला समय के अनुसार बदलती जरूरतों को देखते हुए लिया गया है. उन्होंने जब चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, तब हमारी पार्टी का किसी भी राजनैतिक दल के साथ गठबंधन नहीं हुआ है. मौजूदा समय में हमारा बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के साथ गठबंधन है. बीएसपी और सीपीआई के नेताओं का यह मानना था कि उनको एक सीट पर सीमित नहीं रहना चाहिए. उनको 90 विधानसभा क्षेत्रों में गठबंधन की तरफ से लड़ रहे सभी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना चाहिए. मौजूदा परिस्थितियों में गठबंधन को मजबूत करने के लिएअजीत जोगी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
अमित जोगी: गठबंधन के बाद परिस्थितियां बदली हैं. कई जगह हम लोगों को अपने प्रत्याशियों को ड्राप कर बीएसपी के प्रत्याशियों को लाना पड़ा है. उनके पक्ष में नए सिरे से प्रचार करना पड़ेगा. अगर अजीत जोगी एक सीट से लड़ते, भले ही मुख्यमंत्री की सीट से लड़ते, तो वहां उनको कम से कम छह दिन तो देना पड़ता. इन दिनों वे एक दिन में 4 विधानसभाओं में जनसभाएं कर रहे हैं. इस लिहाज से इन 6 दिनों में सीधे तौर पर 24 विधानसभा क्षेत्र प्रभावित हो रहे थे. अब वह अपना समय उन क्षेत्रों पर दे सकेंगे, जहां पर समयाभाव के चलते वह समय नहीं दे पा रहे थे.
अमित जोगी: पहले चरण में बस्तर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हो रहे थे. समयाभाव के चलते अमित जोगी अभी तक बस्तर के इलाकों में नहीं जा सके थे. अब कम्युनिस्ट पार्टी के वहां से 4 प्रत्याशी गठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके पक्ष में भी हमें प्रचार करना है. हमें बहुजन समाज के प्रत्याशियों के लिए भी प्रचार करना है. इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि अजीत जोगी कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ेंगे. वे 90 विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रचार करेंगे. चूंकि यह चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा जा रहा है, इस लिहाज से वह सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं.
अमित जोगी: छत्तीसगढ़ में बीएसपी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के गठबंधन की लोकप्रियता को देखते हुए सीपीआई ने गठबंधन में शामिल होने का निर्णय लिया है. सीपीआई का साथ मिलने के बाद हमारे गठबंधन को बस्तर, सरगुजा और भिलाई के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में मजबूती मिलेगी. मजूदर और किसान वर्ग के बीच हमारे गठबंधन की ताकत और बढ़ेगी. बस्तर संभाग के अंतर्गत आने वाली कोंटा और दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्रों में शुरू से सीपीआई की मजबूत स्थिति रही है. सीपीआई का साथ मिलने के बाद हमारे गठबंधन की ताकत दोगुनी हो चुकी है.
अमित जोगी: छत्तीसगढ़ के फैसले न ही लखनऊ से लिए जाएंगे और न ही पश्चिम बंगाल से लिए जाएंगे. हमारा रिमोट शुरू से हमारे पास था और भविष्य में भी हमारे पास रहेगा. आप हमारा चुनावी घोषणापत्र पढ़िए, जो इस महागठबंधन का न केवल ज्वाइंट स्टेटमेंट है, बल्कि जल्द ही उसको कॉमन मिनिमम प्रोगाम का रूप भी दिया जा सकता है. उसमें स्पष्ट तौर पर पहली बात यही लिखी है कि छत्तीसगढ़ के सारे फैसले छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ की जनता के द्वारा लिए जाएंगे. हम कमिटेड हैं कि हमारी सरकार बनेगी तो किसानों का धान 2500 रुपए समर्थन मूल्य में खरीदेंगे. हम कमिटेड हैं कि यहां पर जितनी भी स्थानीय पोस्ट हैं, उनमें 100 फीसदी स्थानीय लोगों का आरक्षण होगा.
अमित जोगी: हम जब यह सब कमिटमेंट कर रहे हैं तो इसमें बहुजन समाज पार्टी और सीपीआई दोनों की सहमति शामिल है. इसमें तो कोई संशय नहीं है. हमारे नेता ने अपना कमिटमेंट चुनावी घोषणा पत्र के जरिए जनता के बीच नहीं रखा है. हमने अपने वादों का हलफनामा कोर्ट में दिया है. सरकार बनने पर यदि हम अपने वादों को पूरा नहीं करते हैं, तो कोई भी शख्स हमें कोर्ट के कटघरे में खड़ा कर सकता है. वहीं, इस गठबंधन की दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि हम दरबारी की हैसियत से नहीं, बल्कि बराबरी की हैसियत से दिल्ली आना चाहते हैं.
अमित जोगी: कांग्रेस एक डूबता जहाज है, छत्तीसगढ़ में उसका डूबना तय है. ऐसे में कांग्रेस के नेता इस तरह की बातें कर जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास कर रहे हैं. जहां तक डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की बात है तो मुख्यमंत्री पिछले 15 वर्षों में छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर लोगों के लिए कुछ नहीं कर पाए. आज भी राज्य के 50 प्रतिशत लोग गरीबी के दलदल में फंसे हुए हैं. ऐसे में डॉ.रमन सिंह को मुख्यमंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. हमने अपनी हर जनसभा में डॉ रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की नीति और नियत दोनों को जनविरोधी करार दिया है. बीजेपी की हर नाकामी को हम जनता के बीच जोरदार तरीके से लेकर गए हैं.
अमित जोगी: कांग्रेस तो इतनी डरी हुई है कि कल नामांकन का आखिरी दिन है. कांग्रेस अभी तक सिर्फ 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर पाई है. कई महीने पहले जब राहुल गांधी आए थे, तब उन्होंने बोला था कि 15 अगस्त से पहले 90फीसदी प्रत्याशियों के नाम घोषित कर देंगे. कांग्रेस की स्थिति यह है कि एक सीट पर उनके 40-40 दावेदार हैं. कांग्रेस बगावत से इतनी डरी और सहमी हुई है कि प्रत्याशियों का नाम अभी तक घोषित नहीं कर पाई है. कांग्रेस तो ऐसी स्थिति में खड़ी है, जहां उनका कार्यकारी अध्यक्ष भाजपा ज्वाइन करने की तैयारी में है. कांग्रेस में कार्यकर्ता नहीं बचे हैं, वहां सिर्फ नेताओं का हुजूम है. यह हूजूम टिकटों की चाहत में दिल्ली के दरबार के चक्कर लगा रहा है. यहां चुनाव प्रचार में कांग्रेस का एक भी नेता नजर नहीं आ रहा है.