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मेडिकल डिवाइस पार्क को केन्द्र सरकार की मिली मंजूरी

यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बनने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क को केन्द्र सरकार की मंजूरी मिल गई है. सरकार ने पार्क की डीपीआर पर मुहर लगा दी है. यमुना अथॉरिटी की 72वीं बोर्ड बैठक में भी इस पर मुहर लग गई है.

यूपी में नोएडा के साथ ही मध्य प्रदेश, हिमाचल और तमिलनाडु में भी मेडिकल डिवाइस पार्क को मंजूरी दी गई है. देश का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क तेलंगाना में काम कर रहा है.

पार्क में एक हजार से लेकर 10 हजार वर्गमीटर तक के 89 प्लाट होंगे. मेडिकल डिवाइस पार्क में भी फ्लैटेड फैक्ट्री कॉन्सेप्ट लागू किया जाएगा. यह पार्क यमुना अथॉरिटी के सेक्टर-28 में बनाया जा रहा है.

यमुना अथॉरिटी के अफसरों की मानें तो सेक्टर-28 में मेडिकल डिवाइस पार्क का निर्माण होगा. इसके लिए 350 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है. पहले फेज में 100 एकड़ जमीन पर निर्माण किया जाएगा. पार्क में एक हजार से लेकर 10 हजार वर्गमीटर तक के 89 प्लाट होंगे. नॉर्थ इंडिया के इस दूसरे मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए केन्द्र सरकार भी अनुदान देगी.

जानकारों की मानें तो फ्लैटेड फैक्ट्री कॉन्सेप्ट (एफएफसी) से ऐसे कारोबारी भी कारोबार शुरु कर सकते हैं जिनके पास कम पूंजी है. ज़मीन खरीदने और फैक्ट्री बनवाने से लेकर उसका स्ट्राक्चर तक तैयार कराने लायक लागत नहीं है.

ऐसे में फ्लैटेड फैक्ट्री कॅन्सेप्ट बहुत ही काम आता है. इसके तहत अपने काम के हिसाब से फैक्ट्री में पहले से तैयार फ्लोर किराए पर लेकर काम शुरु किया जा सकता है.

मेडिकल डिवाइस पार्क में कारोबार करने के लिए पहले से निर्धारित कुछ शर्तों का पालन करना होगा. शर्त पूरी करने के बाद ही आवेदक को प्लॉट का आवंटन किया जाएगा. सबसे पहले तो यह कि आवेदन करने वाली कंपनी का फार्मा में रजिस्ट्रेशन हो.

कंपनी वर्ल्ड लेवल की होनी चाहिए. या फिर कंपनी पहले से ही इस फील्ड में काम कर रही हो. मेडिकल डिवाइस पार्क में इलेक्ट्रोनिक डिवाइस के साथ-साथ रेडियोलॉजिकल डिवाइस भी बनाई जाएंगी.

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