अमेरिका में एक बार फिर से कोरोना मामलों ने अपने पिछले सारे रिकार्ड तोड़े
दुनियाभर के देशों में कोरोना वायरस एक बार फिर तबाही मचा रहा है. अमेरिका में एक बार फिर से कोरोना मामलों ने अपने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. देश में महामारी के बाद से दूसरी बार एक दिन में 10 लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सोमवार को अमेरिका में 10.13 लाख नए कोविड संक्रमित मिले. इससे पहले पिछले सप्ताह अमेरिका में पहली बार 10 लाख मामले सामने आए थे, जिसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने व्हाइट हाउस की कोरोना महामारी पर नजर रखने वाली टीम से आपात बैठक की थी.
अमेरिका में नवीनतम कोरोना वायरस के आंकड़े सोमवार तक 6 करोड़ से ज्यादा हो चुके हैं, जो वैश्विक कोरोना संख्या का लगभग 20 फीसदी है. दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका है,
वहीं दूसरे नंबर पर भारत का नाम आता है. इस वायरस से मरने वालों की संख्या 837,594 हो गई है. इसके अलावा, अगर वैक्सिनेशन की बात करें तो, अमेरिका में 516,880,436 लोगों ने वैक्सीन लगवा लिया है.
कोरोना वायरस का प्रभाव कहीं देखा गया तो वो है अमेरिका, जहां अब तक इस घातक वायरस से सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं. दुनिया भर में कोरोना वायरस से मरने वालों में अकेले अमेरिका में 15 प्रतिशत से अधिक मरीज हैं.
देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 9 नवंबर, 2020 को 1 करोड़ तक पहुंच गई थी. ये 1 जनवरी 2021 को 2 करोड़ की संख्या को पार कर गई, जबकि 24 मार्च को 3 करोड़ से ज्यादा और 6 सितंबर को 4 करोड़ और 13 दिसंबर को 5 करोड़ से ज्यादा हो गई थी.
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, अमेरिका में अब रोजाना औसतन 700,000 से ज्यादा नए कोरोना वायरस मामले सामने आ रहे हैं. अमेरिका में सबसे पहले महामारी से बचाव को वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी.
इसके बाद बूस्टर डोज और 18 वर्ष से कम की आयु के बच्चों को भी वैक्सीन देने की शुरुआत यहां पर हो चुकी है. इसके बाद भी इतने मामले आना एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
रायटर्स के मुताबिक देश में 135,500 मरीज कोरोना संक्रमण की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं. पिछले वर्ष जनवरी में करीब 132,051 मरीज अस्पतालों में भर्ती थे. इस लिहाज से भी ये एक नया रिकॉर्ड है.
वहीं, ओमिक्रॉन को हालांकि कम घातक बताया जा रहा है, लेकिन सच्चाई ये है कि इसकी संक्रमण की रफ्तार बेहद तेज है और इसकी वजह से मरीजों को अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ रहा है. विभिन्न देशों में इसकी वजह से मौतें भी हो रही हैं. अमेरिका में बढ़ते मामलों की वजह से अस्पतालों पर जबरदस्त दबाव है.