हार्वर्ड विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए सालाना करीब 40,000 से अधिक आवेदन आते हैं.
दुनिया में हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना किसी भी छात्र या अभिभावकों का एक सपना होता है। अमेरिका स्थित ये यूनिवर्सिटी सिर्फ अमेरिका ही नही बल्कि विश्व के उच्च शिक्षण संस्थानों में गिना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां से पढ़ने वाला छात्र विश्व में एक अलग ही मुकाम हासिल करता है। हॉर्वर्ड से अब तक कई अमेरिकी राष्ट्रपति पढ़ाई कर चुके है। इसके अलावा कई नोबल पुरस्कार विजेता और दुनिया की कई मशहूर शख्सियतें भी हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुकी है। आज हम आपको हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के इतिहास से लेकर एडमिशन प्रक्रिया तक बताने जा रहे है।
संघीय अदालत में चली सुनवाई
दरअसल, हाल ही में बोस्टन के संघीय अदालत में आवेदकों ने हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय में दाखिले को लेकर पक्षपात करने का मामला फाइल किया। इसमें विश्वविद्यालय के दाखिले को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए। यह आराेप लगाया गया कि एशियाई-अमेरिकी आवेदकों के साथ विश्वविद्यालय भेदभाव करता है। जब हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के डीन ने दाखिले को लेकर अपना पक्ष रखा तब एक नए रहस्य का पता चला। अदालत में डीन ने विश्वविद्यालय के दाखिले की प्रक्रिया का खुलासा किया।
एक छात्र के दाखिले में 19 छात्र कैसे होते हैं रिजेक्ट
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए सालाना करीब 40,000 से अधिक आवेदन आते हैं। लेकिन इसमें महज दो हजार छात्रों को ही दाखिला मिल पाता है। यानी एक छात्र के दाखिले में 19 छात्र रिजेक्ट होते हैं। प्रत्येक वर्ष सीनियर हाई स्कूल स्तर पर ‘ए’ प्लस पाने वाले छात्र, जिनकी प्रवेश परीक्षा भी शानदार प्रदर्शन होता है, लेकिन विश्वविद्यालय में दाखिले से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में यह सबको चकित करने वाली घटना लगती है कि आखिर सब कुछ अच्छा होने के बावजूद विश्वविद्यालय में दाखिला क्यों नहीं मिला।
आवेदन पत्रों के लिए होता है डॉकेट का इस्तेमाल
दरअसल, अदालत में एक सुनवाई के दौरान हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के डीन विलियम आर फिट्जसिमन्स ने प्रवेश प्रक्रिया को विस्तार से बताया। उक्त दस्तावेज के मुताबिक आवेदन पत्रों को 20 डॉकेट यानी श्रेणियों में विभक्त किया जाता है। कैलिफ़ोर्निया में ए, सी और जेड लेबल वाले तीन डॉकेट हैं। टेक्सास को डॉकेट डी और वर्जीनिया, मैरीलैंड, डेलावेयर और कोलंबिया को आई लेबल प्रदान किया गया है।
डॉकेट को चार प्रोफ़ाइल श्रेणियां
आवेदनों को डॉकेट में विभक्त होने के बाद विश्वविद्यालय की उपसमितियां और एडमीशन के लिए तैनात अफसर डॉकेट की गहनता से परीक्षण करते हैं। इसके बाद एक उपसमिति इनकी बारीकी से अध्ययन करती है। उपसमित के सदस्य और अफसर इसमें शामिल निबंध, लेख, परीक्षण स्कोर, अनुशंसा पत्र और अन्य जानकारियों का अवलोकन करते करते हैं। इसमें जाति या आवेदक की जातीयता शामिल है। इस डॉकेट को चार प्रोफ़ाइल श्रेणियों में – अकादमिक, बहिर्वाहिक, एथलेटिक और व्यक्तिगत- में बांट दिया जाता है। हैं। इसके बाद इन चार श्रेणियों में उपसमिति अपनी टिप्पणियों और रेटिंग के साथ एक सारांश पत्र को भरती है। यह आवेदनों पर प्रारंभिक और समग्र रेटिंग भी प्रदान करती है। लेकिन यह रेटिंग एक निर्णय कॉल है, न कि अन्य अंकों का औसत।
40 सदस्यीय समिति के सदस्य करते हैं मतदान
फाइलों की इस रेटिंग को दूसरे सेट के लिए एक अन्य समिति जांच करती है। वह आवेदकों के कुछ फाइलों का अध्ययन करती है। एक प्रोफेसर भी इन फाइलों को पढ़ सकता है। उन आवेदकों की फाइल को आगे बढ़ाया जाता है जो कला के क्षेत्र में गहराई दिखाता है या गणित में विशेष प्रतिभा दिखाता है। इसके बाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के पास इन फाइलों को भेजा जाता है। ये पूर्व छात्र इन अावेदकों के साक्षत्कार लेते हैं। इसके बाद साक्षात्कारकर्ता अपनी रिपोर्ट समिति को भेजते हैं। इसके बाद एक बार फिर उप-समितियां मिलती हैं। इन फाइलों की समीक्षा करती हैं। वहां से चयन की गई फाइलों को 40 सदस्यीय समिति के पास भेजा जाता है। इसके बाद समिति के सदस्यों का मतदान होता है। जिनके पक्ष में अधिक वोट पड़ते हैं उस आवेदक का चयन होता है।
हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी का इतिहास
हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्थापना जॉन हॉर्वर्ड और मैसाचुसेट्स के जनरल कोर्ट के वोट द्वारा 1636 में की गई थी। शुरुआत में इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ नौ छात्र ही पढ़ते थे। शुरुआत में हॉर्वर्ड में क्लासिकल एकेडमिक कोर्स ही करवाए जाते थे, लेकिन समय के साथ-साथ हॉर्वर्ड में कई एडवांस कोर्स शुरू होते गए और धीर-धीर ये यूनिवर्सिटी विश्व में हायर एजुकेशन का हब बन गई। फिलहाल हॉर्वर्ड में 21,000 से ज्यादा छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे है।