उत्तराखंड में अब प्रसव के लिए ज्यादा विकल्प, पढ़िए पूरी खबर
सुरक्षित प्रसव की सुविधाओं के लिए प्रदेश में डिलिवरी प्वॉइंट बढ़ाए जाएंगे। अपर सचिव स्वास्थ्य व एनएचएम के निदेशक युगल किशोर पंत ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्त अवस्था में पड़े उपकेंद्रों को पुनर्जीवित किया जाए। जिससे गर्भवती महिला को घर के समीप ही प्रसूति संबंधित सम्मानजनक सेवाएं मिल सकें।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित योजनाओं की प्रगति और जनपदों को जारी बजट के उपयोग की स्थिति की समीक्षा अपर सचिव ने की। स्वास्थ्य महानिदेशालय में हुर्इ समीक्षा बैठक के पहले दिन कुमाऊं मंडल के सभी जनपदों के सीएमओ, एसीएमओ और जिला कार्यक्रम प्रबंधक शामिल हुए।
इस दौरान मिशन निदेशक ने मातृ एवं शिशु मृत्यु की नियमित समीक्षा किए जाने को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया कि वह समीक्षा रिपोर्ट कारण सहित राज्य स्तर पर अनिवार्य रूप से भेजें। ताकि इसके कारणों की जानकारी हो सके और एनएचएम की योजनाओं को राज्य की आवश्यकता के अनुसार लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि सुरक्षित प्रसव के लिए प्रसव पूर्व जांच बढ़ाई जाए व गर्भवती महिला के हीमोग्लोबिन जांच के आधार पर एनीमिया के स्तर में सुधार लाया जाए।
उन्होंने राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम व एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के संचालन के लिए आंगनबाड़ी व एएनएम के मध्य प्रभावी समन्वय बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। इन कार्यक्रम के तहत वजन एवं पोषण संबंधी आंकड़ों को भी साझा करने के निर्देश दिए गए।
उन्होंने एनएचएम की योजनाओं को धरातल पर क्रियान्वित करने के लिए ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समितियों की बैठकों में ब्लॉक और जनपद स्तरीय अधिकारियों को प्रतिभाग करने के निर्देश दिए और कहा कि इस दौरान प्राप्त सुझावों को एनएचएम की वार्षिक कार्ययोजना में सम्मिलित किया जाए। ताकि ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुसार सुविधाएं दी जा सकें।
मिशन निदेशक ने ग्राम समितियों की बैठकों को नियमित एवं गुणवत्तापूर्ण स्तर पर कराए जाने के निर्देश दिए। इस दौरान निदेशक एनएचएम डॉ. अंजलि नौटियाल, एपीडी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, अपर निदेशक राष्ट्रीय कार्यक्रम डॉ. सरोज नैथानी, संयुक्त निदेशक डॉ. बागीश काला, डॉ. वीएस टोलिया, डॉ. अमित शुक्ल सहित एनएचएम एवं विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।