यूपी सहित चार राज्यों में भाजपा को हो सकता है नुकसान, संघ का अनुमान?
संघ का मानना है कि योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली भी भाजपा में नाराजगी का एक कारण है। योगी आदित्यनाथ ने पुलिस और प्रशासन में राजपूतों को महत्व दिया है। उनकी आक्रामक शैली और एरोगेंस के कारण नेतागण उन्हें आसानी से अप्रोच नहीं कर पाते। इस कारण से संवाद हीनता की स्थिति रहती है। योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली के कारण बढ़ती नाराजगी को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व छ: माह पूर्व उन्हें हटाना चाहता था लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसकी अनुमति नहीं दी। योगी आदित्यनाथ के कारण ब्राह्मणों में भी नाराजगी देखी जा रही है। संघ परिवार डैमेज कंट्रोल करने में लगा हुआ है क्योंकि संघ परिवार उत्तर प्रदेश के अधिकांश पदाधिकारी ब्राह्मण समाज से हैं। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में जो पॉलिटिकल पिक्चर सामने आया है वह भाजपा के लिए अधिक अनुकूल नहीं है। भाजपा और संघ परिवार उत्तर प्रदेश को लेकर निश्चिंत नहीं रह सकता। इस संबंध में युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को पांचों राज्यों में जो फीडबैक मिला है वह भाजपा के लिए चौंकाने वाला हो सकता है। सूत्रों के अनुसार सभी राज्यों में भाजपा को नुकसान होने की आशंका है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पार्टी को बहुमत काफी घटेगा। संघ को इस तरह का फीडबैक उसके विभाग प्रचारक देते हैं जो मैदानी स्तर पर निरंतर सक्रिय रहते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा को 317 सीटों मिली थीं। इस बार यह घटकर 240 तक हो सकती हैं। इसी तरह उत्तराखंड में 70 में से 56 सीटों पर 2017 में विजय हुई थी। इस बार यह संख्या घटकर 35 हो सकती है। इसी तरह गोवा में भी बहुमत जुटाने में पार्टी को मुश्किल आ सकती है। गोवा में मनोहर पर्रिकर का नहीं होना और पार्टी में बगावत अधिक मात्रा में होना बहुत बड़ा नुकसान है। पंजाब में जो वातावरण है उसके अनुसार भाजपा को शहरी सीटों से उम्मीद है। यहां पार्टी 65 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। संघ का अनुमान है कि उसे 25 सीटें मिल सकती हैं। मणिपुर में जरुर वह फिर से वापसी करने की स्थिति में है। इस रिपोर्ट में भाजपा नेतृत्व को आगाह किया है कि वह अति आत्मविश्वास में ना रहे। रिपोर्ट के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीति बदलते हुए और आक्रामक चुनाव अभियान चलाएगी। पार्टी ने यहां सोशल इंजीनियरिंग की है लेकिन चुनाव परिणामों के लिए वह ध्रुवीकरण पर निर्भर हो गई है। सूत्रों के अनुसार पांच राज्यों के चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अत्यंत गंभीर है। संघ ने उत्तर प्रदेश समेत सीाी पांच राज्यों के चुनाव को कोर मैनेजमेंट अपने हाथ में ले लिया है। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले खुद चुनाव को मॉनिटर कर रहे हैं। संघ के चुनाव में भाग लेने की अपनी शैली है और कभी भी वह सीधी अपने बैनर तले भाग नहीं लेता। उत्तर प्रदेश में संघ के दो और बड़े पदाधिकारी सह सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल और रामतदत्त चक्रधर लगे हैं। मध्य क्षेत्र संघ परिवार के कतिपय पदाधिकारियों को उत्तर प्रदेश में उन सीटों पर लगाया गया है जो मप्र सीमा से लगती हैं। सूत्रों के अनुसार संघ नेतृत्व को उत्तर प्रदेश में एंटी इनकमबेंसी ने चिंतित कर दिया है। प्रदेश में यादव मुस्लिम गठजोड़ अधिक मजबूती के साथ समाजवादी पार्टी को समर्थन कर रहा है। इससे भी चिंता है क्योंकि इन दोनों समुदायों का गठजोड़ 30 फीसदी मतदान की गारंट देता है। उत्तर प्रदेश की स्थिति को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पूरे समय उत्तर प्रदेश को देने के लए कहा गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी अधिकांश समय उत्तर प्रदेश को देंगे।