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गायब होने की कगार पर पहुंच चुकी सोहन चीड़िया को इस सेंचुरी में देख पाना है मुमकिन

गुजरात के कच्छ जिले में स्थित कच्छ ग्रेट इंडिया बर्ड सेंचुरी भारत के मशहूर बर्ड सेंचुरी में से एक है। 2 स्क्वेयर किमी में फैले इस जंगल को सन् 1992 में सेंचुरी घोषित किया गया था। गुजरात में मौजूद दो अन्य ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सेंचुरी में एक है ये। 

बर्ड सेंचुरी में खास है घोराड

इस सेंचुरी में पक्षियों की जो सबसे खास प्रजाति देखने को मिलती है वो है घोराड। जिसे सोहन चीज़िया के नाम से भी जाना जाता है। उड़ने वाली पक्षियों में सबसे ज्यादा वजनी घोराड आकार काफी बड़ी होती है और देखने में काफी हद तक शुतुरमुर्ग जैसी। जो उड़ती से ज्यादा चलना पसंद करती है। और सिर्फ गुजरात के कच्छ में ही पाई जाती है। मानसून के दौरान इनके घोंसले भी नज़र आ जाते हैं।

पहले जहां घोराड़ पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में पाई जाती थी वहीं अब ये केवल राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और ओडिशा में ही मौजूद हैं। इनकी लगातार घटती संख्या को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम के अंतर्गत 17 प्रजातियों में शामिल किया है।

कच्छ बर्ड सेंचुरी में बस्टर्ड की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं इनमें द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स, लेसर फ्लोरिकॉन्स और हौबारा बस्टर्ड्स शामिल हैं। इनके अलावा इस सेंचुरी में हेरियर्स, क्रेन्स, काले तीतर, सैंड ग्राउजेज़, ब्लैक एंड ग्रे फ्रांकोलिन, क्वेल्स, लार्क और प्लोवर्स भी मौजूद हैं। माइग्रेटरी बर्ड में इंपीरियल ईगल देखे जा सकते हैं।

सेंचुरी के उत्तरी छोर पर फ्लेमिंगो, हेरोन्स, सैंडपाइपर्स जैसे पक्षियों का निवास है। जंगली जानवरों में भेड़िए, डेजर्ट कैट, जैकाल, स्ट्राइप्ड हायना, लोमड़ी, मंगूज, ब्लू बुल, चिंकारा, स्पाइनी टेल्ड लिजॉर्ड, सांपों का ये घर हैं।

कच्छ सेंचुरी में झाड़ियों से घिरा हुआ है और इसी वजह से ये जानवरों के रहने के अनुकूल है।

कब आएं

सेंचुरी घूमने का सही समय मानसून के बाद शुरू होता है और सर्दियों में भी घूमने लायक होता है।

कैसे आएं

हवाई मार्ग- भुज यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट हैं जहां से बर्ड सेंचुरी की दूरी 110 किमी है।

रेल मार्ग- यहां तक पहुंचने का नजदीकी रेलवे स्टेशन नलिया है। जिसकी बर्ड सेंचुरी से दूरी 20 किमी है।

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