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धर्मांतरण रोकने को सीमाओं पर गांव-गांव आयोजित होंगे धार्मिक अनुष्ठान : शंकराचार्य अधोक्षजानंद काशी सुमेरु पीठाधीश्वर की मांग, धर्मान्तरण पर हो पूर्ण प्रतिबंध

प्रयागराज(आरएनएस)। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज ने मंगलवार को यहां कहा कि देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में धर्मांतरण रोकने के लिये सनातन धर्म का विस्तार होगा। इसके लिए वहां के गांवों में यज्ञादि धार्मिक अनुष्ठानों का निरंतर आयोजन होगा।
शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ आज माघ मेला स्थित धर्मोत्थान संसद के शिविर में आयोजित धर्म संसद को संबोधित कर रहे थे। जगद्गुरु ने चिंता व्यक्त की कि बड़े संतों और महात्माओं की उपेक्षा के चलते भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में धर्मान्तरण को बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही वहां के सनातन धर्मावलम्बियों में निराशा का भाव पनप रहा है।
जगद्गुरु ने कहा कि अब सीमावर्ती क्षेत्रों के गावों में धार्मिक अनुष्ठानों का नियमित आयेजन होगा। इससे वहां रह रहे सनातन धर्मावलम्बियों का मनोबल बढ़ेगा और धर्मान्तरण पर प्रभावी रोक लग सकेगा।
गौरतलब है कि शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में नियमित जाते रहते हैं और वहां व्यापक स्तर पर यज्ञादि अनुष्ठान कराते रहते हैं। हाल में भी वह दस दिन के प्रवास पर पूर्वोत्तर भारत में थे और असम व अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में जाकर वहां के शिवालयों तथा अन्य देवालयों में विविध धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किये थे।
धर्म संसद को संबोधित करते हुए काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने भी देश के सीमावर्ती क्षेत्रों की धर्म गुरुओं द्वारा हो रही उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अब इन क्षेत्रों में वरिष्ठ संतों का नियमित प्रवास होगा।
शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने इस अवसर पर सरकार से मांग की कि देश के मठ-मंदिरों का अधिग्रहण समाप्त किया जाये। उन्होंने धर्मान्तरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी मांग की। साथ ही सनातन धर्म से अन्य धर्मों में गये लोगों की घर वापसी पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे धर्मान्तरण के कार्यों में लगीं इसाई मिशनरियों का मनोबल भी टूटेगा।
गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के मठ पुरोहित वेदाचार्य रामानुज त्रिपाठी ने कहा कि यदि संतों की टोली देश के सीमावर्ती गांवों में प्रवास कर हवन-पूजन का आयोजन करेगी तो उन क्षेत्रों में भी सनातन धर्म का प्रसार होगा।
असम सरकार के कैबिनेट मंत्री बोलिन सैतिया ने इस मौके पर कहा कि पूर्वोत्तर भारत का क्षेत्र पूर्वाम्नाय गोवर्धन पुरी पीठ के अंतर्गत आता है और पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज प्रारम्भ से ही पूर्वोत्तर का विशेष ध्यान रखे हुये हैं। उनके प्रयास से ही पूर्वोत्तर भारत में शांति है और चतुर्मुखी विकास हो रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी जगद्गुरु शंकराचार्य का आशीर्वाद क्षेत्र को मिलता रहेगा। बोलिन सैतिया ने यह भी बताया कि राज्य के कल्याण के लिये उन्होंने आज यहां विशेष पूजा-अर्चना भी की।
धर्म संसद में रामानुज सम्प्रदाय के दामोदर प्रपन्नाचार्य, परमहंस ब्रजभूषणानंद और महामंडलेश्वर झंडा बाबा समेत कई अन्य संतों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
इससे पूर्व धर्मोत्थान संसद के शिविर में ही विशेष यज्ञ एवं पूजन अनुष्ठान का आयोजन हुआ। मुख्य यजमान के रुप में असम सरकार के कैबिनेट मंत्री बोलिन सैतिया ने वैदिक विधि विधान से गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन की विशेष पूजा की और यज्ञ में आहुतियां डालीं।
गौरतलब है कि साल भर में चार बार नवरात्रि आती है। चैत्र और अश्वनि मास में आने वाली नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहा जाता है। वहीं माघ व आषाढ़ महीने में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि की संज्ञा दी गयी है। इस बार माघ महीने की गुप्त नवरात्रि दो से 10 फरवरी तक है। गुप्त नवरात्रि में नौ दुर्गा व दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
माघ मेला स्थित धर्मोत्थान संसद के शिविर में निर्मोही अखाड़े के महंत छैलबिहारी दास की देखरेख में पिछले एक माह से अनवरत अन्न क्षेत्र यानि भंडारे का आयोजन हो रहा है। यह भंडारा मेला अवधि तक जारी रहेगा। महंत छैलबिहारी दास ने बताया कि प्रतिदिन सैकड़ों साधु-संत व श्रद्धालु इस भंडारे में भोजन-प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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