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प्री-एक्टिवेट सिम कार्ड मामले में कई साइबर ठग क्राइम ब्रांच के रडार पर

कानपुर)। प्री-एक्टिवेट सिम कार्ड मामले में नए तथ्य सामने आए हैं। पता चला कि मोबाइल कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर के यहां से ही सिम प्री एक्टिवेट होते थे और फुटकर व थोक में बाजार में उतार दिए जाते थे। आरोपित थोक में ही प्री एक्टिवेटेड सिम बेचते थे। क्राइम ब्रांच की जांच में पता चला है कि दोनों ने उन्नाव और कानपुर में एक साल के भीतर 60-70 लाख रुपए का धंधा किया है।साइबर ठगों को प्री एक्टिवेटेड सिमकार्ड सप्लाई करने के मामले में क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को ई ब्लॉक निवासी दो भाई हर्षित और अभिषेक मिश्रा को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 574 प्री एक्टिवेटेड सिमकार्ड बरामद हुए थे। क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक दोनों आरोपितों की जांच अभी जारी है। उसमें पता चला है कि यह दोनों फुटकर में 300-500 रुपए तक में सिम बेच देते थे मगर ज्यादातर यह दोनों बड़ी तादाद में सिम की सप्लाई करते थे।
सिमकार्ड का काम करने वाले लोगों के मुताबिक बल्क में सिम कम से कम 100 की संख्या में होता है। दोनों आरोपित सौ सिमकार्ड प्रीएक्टिवेट करने के बाद उसे सप्लाई कर देते थे। 100 सिम कार्ड का इन्हें 10-12 हजार रुपए मिल जाता था। इसी तरह से दोनों भाई उन्नाव और कानपुर से सिम की सप्लाई कर रहे थे। इसके जरिए साल में 60-70 लाख रुपए का धंधा कर लेते थे।
6 मोबाइल फोन में दोनों आरोपितों ने 11 हजार सिम कार्ड को एक्टिवेट किया है। इन एक्टिवेटेड सिमकार्ड को ट्रेस करते हुए पुलिस को दर्जन भर साइबर ठगों के बारे में जानकारी मिली है। जो अलग- अलग शहरों में बैठकर ऑपरेट कर रहे हैं।

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