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द कश्मीर फाइल्स की रिलीज से पहले विवेक अग्निहोत्री ने डिएक्टिवेट किया अपना ट्विटर अकाउंट

निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री पिछले काफी समय से फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर सुर्खियों में हैं। उनकी इस फिल्म की रिलीज से पहले विवेक को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। अब निर्देशक ने अपना ट्विटर अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया है। विवेक ने सोशल मीडिया पर एक ओपन लेटर भी लिखा है। इसमें उन्होंने उस कठिन वक्त के बारे में बताया है, जिससे वह गुजरे हैं। विवेक ने लिखा, बहुत से लोग सोच रहे हैं कि मेरा ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने इसे डिएक्टिवेट कर दिया है। जब से मैंने द कश्मीर फाइल्स का कैंपेन शुरू किया है, ट्विटर शैडो ने मुझ पर बैन लगा दिया है। उन्होंने लिखा, मेरे फॉलोअर्स में भारी गिरावट आई। मेरे ज्यादातर फॉलोअर्स मेरे कोई भी ट्वीट नहीं देख पा रहे थे। मेरा इनबॉक्स अश्लील और धमकी भरे मैसेज से भरा हुआ था। विवेक ने लिखा, मेरे और मेरे परिवार के लिए इतनी नफरत, गालियां और धमकियां किसलिए? हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों के दर्द और पीड़ा पर एक सच्ची फिल्म बनाने की वजह से? उन्होंने लिखा, क्या वे इस बात से खफा हैं कि सच सामने आ सकता है? सोशल मीडिया की कुरूप दुनिया ने बहुत से बुरे लोगों को पॉवर दी है। हमारी चुप्पी उन्हें सफल होने की उम्मीद देती है। मेरी फिल्म द कश्मीर फाइल्स उस चुप्पी को तोड़ती है।
विवेक ने लिखा, मैं हमेशा उनके लिए बोलता हूं, जिनकी कोई नहीं सुनता। मैं भारत के दुश्मनों के खिलाफ हमेशा बोलता रहा हूं और भारत विरोधियों का पर्दाफाश करता रहा हूं। वे मुझे चुप कराना चाहते हैं। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि कश्मीर नरसंहार जैसी दुखद घटनाओं में चुप्पी मदद करती है। उन्होंने लिखा, उन्हें पता होना चाहिए कि मुझे चुप नहीं कराया जा सकता। मैं अपने सभी प्रशंसकों को उनके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। द कश्मीर फाइल्स को अमेरिका में 30 से अधिक बार दिखाया जा चुका है। विवेक को स्क्रीनिंग रोकने के लिए धमकी भरे फोन आए थे। उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं कि वह भारत में फिल्म रिलीज ना करें, वरना वह अपनी जान गंवा देंगे।
द कश्मीर फाइल्स में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार नजर आएंगे। अनुपम खेर इसमें पुष्कर नाथ पंडित का किरदार निभाने वाले हैं। फिल्म में पुष्कर नाथ फिलॉसफी के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। फिल्म की कहानी सच्ची घटना को केंद्र में रखकर बुनी गई है, जिसमें कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को दिखाया जाएगा। 1990 के कश्मीरी पडि़तों की जो स्थिति थी, उसे पर्दे पर उतारने की कोशिश की गई है। फिल्म 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

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