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मुस्लिम  मतदाताओं के गलत फैसले से बसपा को नुक़सान हुआ :मायावती

लखनऊ । विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने मीडिया से पहली बार रू ब रू होते हुए कहा मुस्लिम  वोट बसपा के साथ तो  लगा  रहा लेकिन सपा की तरफ शिफ्ट कर गया और उनके इस  गलत फैसले से बसपा को भारी  नुकसान हुआ। लेकिन दलित वोट चट्टान की तरह मजबूती से पार्टी के साथ खड़ा रहा।बसपा सुप्रीमो ने  इसके लिए दलितों का आभार जताया।उन्होंने कहा कि यदि मुस्लिम का  वोट सपा को एक तरफा नहीं जाता तो यूपी का चुनाव परिणाम ऐसा नहीं होता।ऐसा करने वाले लोग समय बीतने पर पछताएंगे।यदि मुस्लिम वोट भी दलित वोटों के साथ मिल जाते तो पश्चिम बंगाल जैसा चमत्कार हो सकता था। लोग यह भूल जाते हैं कि बसपा ही  भाजपा को रोक सकती है।उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में बीएसपी की उम्मीदों के विपरीत  जो नतीजे आए हैं , उनसे घबराकर व निराश होकर पार्टी के लोगों को कतई भी नहीं टूटना है बल्कि उसके सही कारणों को समझकर व उनसे बहुत कुछ सबक सीखकर अब हमें अपनी पार्टी व मिशन को फिर से आगे बढ़ाना है तथा आगे चलकर सत्ता  में भी जरूर आना है तभी गरीब, असहाय, दुखी, पीड़ित व कमजोर वर्गों के लोगों का सही से भला हो सकता है।उन्होंने कहा कि बीजेपी ने भी ऐसे खराब  हालात देखे हैं।2017 के चुनाव से पहले भाजपा की स्थिति कुछ खास नहीं थी। कांग्रेस भी ऐसे ही हालात से गुजर रही है जिस खराब  हालात से पहले भाजपा गुजर रही थी। उन्होंने  जातिवादी मीडिया,  सोशल मीडिया को भी अपनी पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार  ठहराया।उन्होंने कहा कि जातिवादी मीडिया  ने दुष्प्रचार  एवम् प्रायोजित सर्वे के माध्यम से खासकर  मुस्लिम समाज व भाजपा विरोधी  हिन्दू  समाज के लोगों को गुमराह करने में सफल साबित  हुआ है कि बीएसपी भाजपा की बी – टीम है तथा  यह पार्टी सपा के मुकाबले कम मजबूती से चुनाव लड़ रही है जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। यदि ये सभी लोग अफवाहों का शिकार न हुए होते तो फिर  यूपी का चुनाव परिणाम  कतई भी ऐसा नहीं होता जैसा हुआ है। समय बीत जाने के बाद ये लोग जरूर पछताएंगे। बाबा साहेब की अनुयाई पार्टी होने के नाते इस पार्टी के लोगों को हिम्मत नहीं  हारनी है बल्कि पत्थर काटकर रास्ता बनाने का  अपना प्रयास व संघर्ष हर  हाल में आजीवन जारी रखना है। उन्होंने कहा कि   बीएसपी इन कड़वे अनुभवों से अपनी राजनीति में बदलाव जरूर लाएगी। आपको बता दें कि इस विधान सभा चुनाव  में   बीएसपी केवल एक सीट पर ही सिमटकर  रह गई है जबकि 2007 में 206 सीट पर   धमाकेदार जीत के साथ पांच साल तक सत्ता में रही थी।

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