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अयोध्या पर टली सुनवाई, RSS-VHP ने कहा कानून बनाए मोदी सरकार

अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तीन महीने के लिए टल गई है. कोर्ट में सुनवाई टलने पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ने सरकार से राम मंदिर पर कानून लाने की मांग दोहराई है.

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन पर राम मंदिर था. उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग की खुदाई में भी मंदिर के साक्ष्य मिले हैं. अब सवाल सिर्फ भव्य राम मंदिर के लिए जमीन मिलने का है. अरुण कुमार ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि यदि कोर्ट इस पर फैसला नहीं ले पा रहा है तो सरकार को कानून बनाना चाहिए. मंदिर बनने से देश में सद्भाव का माहौल बनेगा. इस मामले पर संघ संतों के साथ खड़ा है.

वही इस मामले पर विश्व हिंदू परिषद ने सोमवार को कहा कि विहिप अनंतकाल तक अदालत के फैसले का इंतजार नहीं कर सकती. विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने केंद्र की मोदी सरकार से संसद के शीतकालीन सत्र में इस विषय पर कानून बनाने का आग्रह किया.

आलोक कुमार ने कहा कि 5 अक्टूबर को संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक हुई है, जिसमें यह निर्णय हुआ कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं किया जा सकता. अब सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मामले की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया है. ऐसे में हमारे रुख को बल मिलता है कि राम मंदिर के निर्माण के लिये अनंतकाल तक इंतजार नहीं किया जा सकता है.  

आलोक कुमार ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के लिये जनमत बनाने की पहल करते हुए विहिप सभी राज्य के राज्यपालों को ज्ञापन दे रही है. इसके बाद नवंबर महीने में देश भर में विहिप कार्यकर्ता क्षेत्र की जनता के साथ अपने सांसदों एवं जनप्रतिनिधियों से मिलेंगे और राम मंदिर के निर्माण के लिये कानून बनाने पर जोर देंगे.  

उल्लेखनीय है कि सु्प्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी.

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