खामियों के पहिये पर दिनभर दौड़ी रोडवेज की जनरथ!
लखनऊ । योगी सरकार के 2.0 शासनकाल में परिवहन मंत्री का दायित्व मिलने के साथ पहले ही दिन निर्वाचित जनप्रतिनिधि दयाशंकर सिंह ने कहा था कि रोडवेज की सेवाओं को और बेहतर बनाया जायेगा। यही नहीं तीन दिन पूर्व जब परिवहन निगम मुख्यालय पर नवागत विभागीय मंत्री ने रोडवेज के आला अफसरों की टीम के साथ पहली मैराथन मीटिंग की तो इसी बात को दोहराया कि बेडे में हर प्रकार की बसों को बढ़ाया जायेगा ताकि हर श्रेणी का मुसाफिर रोडवेज बसों की सेवाओं का लाभ उठा सके। लेकिन संभवत: उन्हें इस तथ्य का अंदाजा नहीं है कि रोडवेज की सेवाओं में अभी कई जगह पंचर के कील लगे हुए हैं, जिसे दुरूस्त किये बिना निगम की यात्री सुविधाओं को बेहतर नहीं बनाया जा सकता। बता दें कि रोडवेज की सबसे सस्ती और सुविधाजनक बस सेवा में जनरथ को गिना जाता है, मगर मेंटीनेंस के अभाव में निगम की यह हाईटेक एसी सेवा यात्रियों के बीच अलोकप्रिय होती जा रही है। इसकी ताजा बानगी, शनिवार को दिखी। कौशांबी से जनरथ टूबाईटू नंबर यूपी 32एमएन8146 सुबह साढेÞ नौ बजे सवारियों को लेकर लखनऊ के लिये निकली। मगर बीच में कहीं खराब टायर के चलते, कहीं स्टार्ट न होने की वजह से और कहीं बिना अनुबंधित ढाबे पर जबरन रोककर यात्रियों के जेब पर बेवजह भार डालने के चलते रोडवेज की यह जनरथ बस का सफर इसमें सवार तकरीबन तीन दर्जन यात्रियों के लिये पूरे दिन खामियों की यात्रा बन गई। स्थिति यह रही कि यह बस अपने निर्धारित समय के बजाये देर रात जाकर लखनऊ पहुंची और ऐसे में जो भी यात्री इसमें सफर किये यही बोले कि अब तो जनरथ सेवा से भगवान ही बचाये, किराया भी एसी का लिया मगर इस भीषण गर्मी में मार दिया। ढाबे पर 150 रुपये की थाली, ओवररेटिंग ने बिगाड़ा जायजा उपरोक्त जनरथ बस जब आगरा एक्सप्रेस वे होते हुए दोपहर में एक ढाबे पर पहुंची तो यात्रियों को तो पहले लगा कि चलो ठीकठाक भोजन पानी मिल जायेगा। लेकिन एक यात्री ने जब थाली आर्डर की तो उसे बताया गया कि यह 150 रुपये की है, पूछने पर बताया गया कि खाना है तो खाओ नहीं तो रहने दो। थाली में एक सब्जी, दाल दो रोटी और जरा सा चावल था। यानी जरनरथ बस को जहां रोका गया था वो रोडवेज से अनुबंधित नहीं था और इसी वजह से वहां पर खानपान की कोई रेट लिस्ट नहीं लगी थी। मजबूरी में यात्रियों को ओवररेटिंग का शिकार होना पड़ा। रोडवेज की यह जनरथ बस जब आगे बढ़ी तो एक्सप्रेस वे पर वृंदावन कट के पास पहुंचकर बंद हो गई। ऐसे में डेढ़ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बस स्टार्ट हो सकी। वहीं कटे-फटे टायरों ने भी जनरथ बस संचालन में और तमाम परेशानियां खड़ी कर दी। जबकि दूसरी तरफ इस चक्कर में भरी दोपहरी में बस में सवार महिलायें व बच्चों को लू के थपेड़ों से काफी परेशानी उठानी पड़ी। इतना ही नहीं स्थिति यह आ गई कि यात्रियों को खुद आगे बढ़कर जनरथ बस को धक्का लगाना पड़ा।