‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’’ की संकल्पना को आबकारी विभाग कर रहा साकार, नई औद्योगिक इकाईयों की स्थापना से निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े
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वर्ष 2017 से 2022 के दौरान विगत 05 वर्षों से आबकारी विभाग, मा. मुख्यर मंत्री, उ.प्र., योगी आदित्यानाथ के निर्देशन में ‘‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’’ के दर्शन की संकल्पना के अन्तर्गत विकासोन्मुख व्यवसाय मॉडल पर निरन्तोर कार्य करते हुए अधिकाधिक राजस्व अर्जन की दिशा में अग्रसर है। अपर मुख्य सचिव, आबकारी, संजय भूसरेड्डी द्वारा अवगत कराया गया कि विभाग के क्रियाकलापों में राजस्व के साथ औद्योगिक विकास का भी महत्वपूर्ण स्थान है। प्रदेश में विकास के क्रम में आबकारी विभाग द्वारा नये उद्योगों की स्था्पना तथा आबकारी विभाग में पहले से चली आ रही जटिल व्यवस्थाओं और नियमों को सरल कर ‘इज आफ डूइंग बिजनेस’ के दर्शन को अपनाते हुए विभागीय कार्य-कलापों को अत्यन्त आसान बनाने के लिये लगातार कार्य किये जा रहे हैं।
इसके फलस्वरूप विभिन्न औद्योगिक इकाईयों को स्थापित कराते हुए निवेश के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। आबकारी विभाग द्वारा प्रदेश में नई आसवनियों, यवासवनियों, माइक्रोर्ब्युरी की स्थापना के लिये लाइसेंस निर्गत किये गये। रेस्टोबार अनुज्ञापनों की स्वीकृति के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई माइक्रोब्रेवरी तथा प्रीमियम रिटेल वेण्ड्स के लाइसेंस भी स्वीेकृत किये गये, जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित हुए और प्रदेश विगत पॉंच वर्षों में अधिकाधिक राजस्व प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर रहा।
अपर मुख्यं सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि विगत पॉंच वर्षों में कोआपरेटिव तथा प्राइवेट सेक्टर के अन्तार्गत कुल 28 नई आसवनियों की स्थापना की गयी है। इन आसवनियों की स्थापना से कुल 12,144 लाख के.एल. अल्कोहल के उत्पादन हेतु अनुमति प्रदान की गयी, जिसमें लगभग रू.4,581 करोड़ का अनुमानित निवेश होगा और लगभग 4,875 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। 15 नई आसवनियों को अल्कोहल उत्पा्दन किये जाने हेतु अनुमति प्रदान की गयी, जिसमें 5,296 लाख के.एल. अल्कोेहल का उत्पादन प्रारम्भ हो चुका है और 1,825 करोड़ रूपये निवेश के साथ ही 1,677 युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ। पहले से स्थापित आसवनियों के दिनों एवं प्लान्ट विस्ताार के आधार पर विगत पॉंच वर्षों में 40 आसवनियों की अधिष्ठापित क्षमता में लगभग 4,586 लाख के.एल. की वृद्धि की गई। अधिष्ठापित क्षमता के विस्तार से प्रदेश में लगभग रू.1,326 करोड़ का निवेश प्राप्त किया गया और 951 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।
पूर्व स्थापित 20 औद्योगिक आसवनियों में 1,576.5 लाख लीटर तथा 07 आसवनियों की पेय क्षमता में 898.16 लाख ली. की वृद्धि की गयी। नई आसवनियों की स्थांपना तथा उनके क्षमता विस्तार से चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ-साथ गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान किये जाने में सुगमता होगी तथा रोजगार के पर्याप्त अवसर सृजित होंगे।
प्रदेश में शहरों के विकास को देखते हुए बड़े जनपदों-कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, आगरा, लखनऊ, मुरादाबाद एवं बरेली जैसे जनपदों में बढ़ते होटल व्यवसाय और बीयर के उपभोक्ताओं को ताजा बीयर उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से शासन द्वारा नई पहल करते हुए माइक्रोबिवरी की स्थापना करने का निर्णय लिया गया। अब तक प्रदेश में होटल एवं रेस्टोरेन्ट उद्यमियों में जनपद नोएडा, गाजियाबाद, आगरा, बरेली और लखनऊ में 13 उद्यमियों को लाइसेंस निर्गत किया जा चुका है। माइक्रोर्ब्युरी जौ आधारित उपयोग होने के कारण जौ के उत्पादन में भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे किसानों को भी इसका प्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त होगा। माइक्रोर्ब्युरी की स्थापना से लगभग रू.13 करोड़ का निवेश प्राप्त किया गया, साथ ही 130 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी सृजित हुए। माइक्रोर्ब्युरी की स्थापना से होटल एवं पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को फ्रेश बीयर उपलब्ध हो सकेगा तथा राजस्व में भी वृद्धि होगी। विगत पॉंच वर्षों में बीयर के उपभोग में उतरोत्तर वृद्धि को देखते हुए प्रदेश में लगभग 20.50 लाख हे.ली. उत्पादन क्षमता की कुल 05 नई र्ब्युरीज की स्थापना की गई, जिसमें 350 करोड़ रूपये के निवेश के साथ-साथ लगभग 450 युवाओं को प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिले।