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पाकिस्तान बॉर्डर पर रोबोट दे रहा है पहरा, सेना का काम आसान कर रहा है ‘साइलेंट संतरी
नई दिल्ली:भारतीय सेना लगातार तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा रही है। भारतीय सेना का डिजाइन ब्यूरो खुद कई नई तकनीक पर काम कर रहा है। डिजाइन ब्यूरो ने एक रोबोट तैयार किया है जो बॉर्डर पर पेट्रोलिंग कर सकता है। इसे ‘साइलेंट संतरी’ का नाम दिया गया है जो दिन रात किसी भी मौसम में निगरानी रखता है। सूत्रों के मुताबिक, इसे फिलहाल जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात किया गया है। आर्मी डिजाइन ब्यूरो ने इसका डिजाइन देसी उद्योग के साथ भी शेयर किया है ताकि बड़ी संख्या में इसका प्रॉडक्शन किया जा सके।
बड़े काम है ‘साइलेंट संतरी’
मेजर पारस कंवर ने यह ‘साइलेंट संतरी’ डिजाइन किया है। यह लगातार छह घंटे पेट्रोलिंग कर सकता है और बैटरी डाउन होने पर खुद चार्जिंग पॉइंट तक जाकर खुद को चार्ज कर लेता है और फिर पेट्रोलिंग शुरू कर देता है। यह अपने डेटाबेस से चेहरे की पहचान करता है और कोई अनजान दिखने पर अलर्ट भेज देता है। यह वायरलेस से 5 से 10 किलोमीटर दूर बेस में डेटा भेज सकता है। यह थ्री डी प्रिटेंड रोबोट है। 5-6 रोबोट की एक पूरी फैमिली है। एक रोबोट अगर चार्जिंग पर गया तो दूसरा रोबोट उसकी एरिया की निगरानी कर लेता है। यह रेल माउंटेड रोबोट है, इसे लाइन ऑफ कंट्रोल की या इंटरनैशनल बॉर्डर की तारबाड़ी या वॉल पर आराम से लगाया जा सकता है।युद्ध भूमि में बड़ी मददगार होगा मानवरहित वाहन
वीइकल की तीन किलोमीटर की रेंज हैं और कैमरा दो किलोमीटर दूर तक देख सकता है। तो बेस स्टेशन में बैठकर पांच किलोमीटर का पैरीफेरल कवर कर सकते हैं। वीइकल में 500 किलो का भार ढोया जा सकता है। आर्मी बैटलफील्ड में अपने गोला-बारूद की सप्लाई के लिए या घायल सैनिकों को ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है। इस वीइकल के साथ पैदल सेना और टैंक यूनिट ने एक्सरसाइज करके भी देखा। पैदल सेना ने लॉजिस्टिक कैरियर के तौर पर इसका इस्तेमाल किया। टैंक यूनिट ने 5-6 टैंक से पहले ये वीइकल तैनात किया। वीइकल ने दुश्मन की सभी लोकेशन देखी और जानकारी टैंक कमांडर को दी। उस हिसाब से फिर टैंक आगे बढ़े।
मेजर पारस कंवर ने यह ‘साइलेंट संतरी’ डिजाइन किया है। यह लगातार छह घंटे पेट्रोलिंग कर सकता है और बैटरी डाउन होने पर खुद चार्जिंग पॉइंट तक जाकर खुद को चार्ज कर लेता है और फिर पेट्रोलिंग शुरू कर देता है। यह अपने डेटाबेस से चेहरे की पहचान करता है और कोई अनजान दिखने पर अलर्ट भेज देता है। यह वायरलेस से 5 से 10 किलोमीटर दूर बेस में डेटा भेज सकता है। यह थ्री डी प्रिटेंड रोबोट है। 5-6 रोबोट की एक पूरी फैमिली है। एक रोबोट अगर चार्जिंग पर गया तो दूसरा रोबोट उसकी एरिया की निगरानी कर लेता है। यह रेल माउंटेड रोबोट है, इसे लाइन ऑफ कंट्रोल की या इंटरनैशनल बॉर्डर की तारबाड़ी या वॉल पर आराम से लगाया जा सकता है।युद्ध भूमि में बड़ी मददगार होगा मानवरहित वाहन
वीइकल की तीन किलोमीटर की रेंज हैं और कैमरा दो किलोमीटर दूर तक देख सकता है। तो बेस स्टेशन में बैठकर पांच किलोमीटर का पैरीफेरल कवर कर सकते हैं। वीइकल में 500 किलो का भार ढोया जा सकता है। आर्मी बैटलफील्ड में अपने गोला-बारूद की सप्लाई के लिए या घायल सैनिकों को ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है। इस वीइकल के साथ पैदल सेना और टैंक यूनिट ने एक्सरसाइज करके भी देखा। पैदल सेना ने लॉजिस्टिक कैरियर के तौर पर इसका इस्तेमाल किया। टैंक यूनिट ने 5-6 टैंक से पहले ये वीइकल तैनात किया। वीइकल ने दुश्मन की सभी लोकेशन देखी और जानकारी टैंक कमांडर को दी। उस हिसाब से फिर टैंक आगे बढ़े।