एक और महिला पत्रकार ने एमजे अकबर के खिलाफ उठाई आवाज,
यौन शोषण और महिलाओं से दुर्व्यवहार के खिलाफ सोशल मीडिया पर छिड़ी जंग #MeToo विवाद में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर एक और महिला पत्रकार ने एक अंतरराष्ट्रीय अखबार से बातचीत के दौरान कई खुलासे किए हैं और अपनी आपबीती बताई है. नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) की चीफ बिजनेस एडिटर पल्लवी गोगोई ने वॉशिंगटन पोस्ट से बातचीत के दौरान पत्रकारिता के शुरुआती दिनों की कहानी को बयां करते हुए कहा है, ‘जब मैं 22 साल की थी, तो मैंने दिल्ली में एक इंटरनेशनल अखबार के साथ काम करना शुरू किया. उस वक्त पत्रकारिता की बेसिक जानकारियां भी हमें नहीं थी’. उन्होंने कहा कि उस वक्त एमजे अकबर हमारे लिए एक बड़ा नाम हुआ करते थे. वह प्रसिद्ध थे. दो प्रमुख राजनीतिक किताबों के लेखक और महज एक दशक में एशिया के दो प्रमुख अखबार संडे मैगजीन और टेलीग्राफ के संपादक. हमारे लिए उनके साथ काम करना एक बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी और बात हुआ करती थी’.
40 साल की उम्र में भी अकबर अखबार कौशल से भरपूर थे. अखबार में काम करने के दौरान उन्होंने हमारे द्वारा लिखी गई कॉपी को लाल-स्याही से भरे मोंट ब्लैंक कलम से चिह्नित किया. फिर उन कॉपी के प्रिंटआउट को फाड़कर उन्हें कचरे के ढेर में फेंक दिया. इसके बाद वह हम पर जोर से चिल्लाए. जर्नलिस्ट ने कहा कि अखबार में काम करने के दौरान ऐसा कोई दिन नहीं था जब वह हम पर चिल्लाते नहीं थे. उन्होंने कहा कि शायद वह हमें अपने मानकों पर आंकते थे और हम उस पर खरे नहीं उतर पाते थे.
उन्होंने कहा- ‘मैं आज भी उनकी भाषा, वाक्यांश और उनके मौखिक दुर्व्यवहार को याद करती हूं. ठीक है वो मेरे सीखने का दौर था, शायद यही सोचकर मैं शांत रही. महज 23 साल की उम्र में मुझको एशियन ऐज के ओप-एड पेज का संपादक का कार्यभार मिला. इस पेज पर काम करने के लिए मैंने शीर्ष स्तंभकारों, भारतीय राजनीति के दिग्गजों और बौद्धिक समाज, जैसे जसवंत सिंह, अरुण शौरी और नलिनी सिंह से बातचीत की. छोटी सी उम्र में एक अखबार के पन्ने को संभालना और दिग्गजों से बात करना मेरे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी थी. पर उस वक्त मैं इस बात को नहीं जानती थी कि छोटी सी उम्र में जिस काम से मैं प्यार करती हूं, उसके लिए मुझको इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी’.
आगे बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मेरी दोस्त तुषिता को आज भी वो पल भूले नहीं भूलता है जब अकबर ने पहली बार मेरा शोषण किया. 1994 की बात है, जब उन्होंने मुझे अपने ऑफिस बुलाया और दरवाजे को बंद कर दिया. इसके बाद मैंने अकबर को अखबार का ओप-एड पेज दिखाया, जिसे मैंने बनाया था. तभी अचानक अकबर ने मुझे किस करना शुरू कर दिया. उस वक्त मुझको लाल चेहरे, उलझन केे बीच शर्मिंदा होते हुए लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया. तुषिता को आज भी मेरा चेहरा याद है कि मैं कैसी दिख रही थी. तुषिता एकमात्र ऐसी शख्स है, जिसके साथ मैंने यह सब कुछ शेयर किया’.
‘ताज होटल में दोबारा किया शोषण’
उन्होंने कहा कि ‘दूसरी बार एमजे अकबर ने मुझे मुंबई के ताज होटल में बुलाया. होटल के कमरे में अकबर ने मुझे एक बार फिर से किस करने की कोशिश की. इस बार मैंने सहा नहीं और उन्हें पीछे धक्का दे दिया. धक्का देने के बाद मैं वहां से भाग गई. जब मैं भाग रही थी अकबर ने मेरा चेहरे पर निशान बना दिए’.
मुंबई में हुई इस घटना के बाद जब मैं वापस दिल्ली आई तो पता चला मुझे नौकरी से निकालने की धमकी दी, लेकिन मैं अखबार को छोड़ नहीं सकती थी. अगले दिन मैं वापस 8 बजे अखबार के कार्यालय पहुंची और 11 बजे तक अपना सारा काम खत्म किया. इसके बाद मुझे दिल्ली से कुछ दूरी पर एक गांव में रिपोर्टिंग के लिए जाना था, लेकिन यह काम जयपुर में खत्म होता. जब मैं वापस आई तो अकबर ने कहा कि वह इस स्टोरी को जयपुर के एक होटल में बैठकर सुनना चाहते हैं’.
उन्होंने कहा, ‘अपने होटल के कमरे में, भले ही मैं उनसे लड़ी. वह शारीरिक रूप से अधिक शक्तिशाली थे. उसने मेरे कपड़े अस्त-व्यस्त किए मुझसे बलात्कार किया. पुलिस को रिपोर्ट करने के बजाय, मैं शर्मशार हुई. मैंने इसके बारे में किसी को भी नहीं बताया. इस घटना के बाद मैं सिर्फ ये सोचती रही कि क्या किसी ने मुझ पर विश्वास किया होगा? मैंने खुद को दोषी ठहराया कि आखिरकार मैं उस कमरे में गई ही क्यों?’
उन्होंने कहा कि ‘वह इतने सालों के बाद एमजे अकबर के बारे में इसलिए लिख रही हैं, क्योंकि वह जानती कि वह पीड़ा कैसी होती है. जब उच्च पद पर बैठे लोग आपका शोषण करते हैं’. उन्होंने कहा कि ‘वह अपनी कहानी बाकी महिलाओं के समर्थन में लिख रही हैं. मैं अपनी बेटी और बेटे के लिए लिख रही हूं, ताकि जब कोई उन्हें पीड़ित करता है तो वे उनसे लड़ने की कोशिश करें’. उन्होंने कहा कि 23 साल के बाद ही सही उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई और आगे भी उठाएंगी और ऐसे ही आगे बढ़ती रहेंगी.