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कारगिल विजय दिवस के अवसर पर अस्त्र-शस्त्र एवं कारगिल के वीर सपूतों के योगदान पर छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन

भारतीय स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने के महत्वपूर्ण अवसर पर दिनांक 11 से 17 अगस्त, 2022 तक स्वतंत्रता सप्ताह एवं दिनांक 13 से 15 अगस्त, 2022 तक हर घर तिरंगा कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाना है।
राज्य संग्रहालय, लखनऊ के शैक्षिक कार्यक्रम एवं आजादी के अमृत महोत्सव के अर्न्तगत कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आज दिनांक 26 जुलाई, 2022 को राज्य संग्रहालय, लखनऊ में अस्त्र-शस्त्र एव कारगिल के वीर स्पूतों पर आधरित अस्थायी छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन अपरान्ह 3ः00 बजे किया गया।
उक्त अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कारगिल विजय में शहीद हुए परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के पूज्यनीय पिताजी श्री गोपी चन्द्र पाण्डेय है। प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए वीर पुत्र शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें तथा अन्य शहीदों को भावभीनी श्रद्धाजलि दी। प्रदर्शनी में कारगिल युद्ध जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, से सम्बन्धित कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव, राइफलमैन संजय कुमार, कैप्टन विक्रम बत्रा एवं कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय तथा राज्य संग्रहालय, लखनऊ में संग्रहीत कलाकृतियों के छायाचित्र प्रदर्शित किये गये।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा संग्रहालय के निदेशक डॉ0 आनन्द कुमार सिंह जी को तिरंगा देकर हर घर तिरंगा अभियान की शुरूआत की गयी। जिसके पश्चात हर घर तिरंगा अभियान को गति प्रदान करने हेतु 75 व्यक्तियों को राज्य संग्रहालय, लखनऊ की ओर से झण्डा प्रदान किया गया। 15 अगस्त, 2022 तक इस अभियान के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु प्रत्येक दिवस को 75 परिवारों को तिरंगा तथा राष्ट्रीय ध्वज पर आधारित मोनोग्राफ प्रदान कर आम जनमानस को जागरूक किया जायेगा। इसके अतिरिक्त राज्य संग्रहालय, लखनऊ में दो सेल्फी प्वाइन्ट की स्थापना की गयी, जो संग्रहालय भ्रमण के लिए दर्शकों के मध्य आकर्षण का केन्द्र बना रहा।
कारगिल दिवस या कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध के नायकों के सम्मान में मनाया जाता है। भारत एवं पाकिस्तान के मध्य 08, मई से 26, जुलाई 1999 के जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम ही कारगिल है। भारत ने कारगिल युद्ध में स्पष्ट विजय प्राप्त की थी। इस कारण प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई, 2022 को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रदर्शनी में राज्य संग्रहालय, लखनऊ के अस्त्र-शस्त्र अनुभाग में संग्रहीत विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों यथा-पिस्टल, कटार, परशु/फरसा, बन्दूक, धनुष-बाण, गुप्ती, ढाल, खंजर के साथ ही पाषाण कालीन ताम्र उपकरणों के भी छायाचित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
इस अवसर पर उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय एवं राज्य संग्रहालय, लखनऊ के निदेशक डॉ0 आनन्द कुमार सिंह ने बताया कि हमारे भारतीय सैनिक भारत की सीमा की रक्षा के लिए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर कर देते है। आज हम भारतवासी जो अपने घर, शहर, विद्यालय तथा अन्य स्थानों पर स्वतंत्रता से रहते है उसका सम्पूर्ण श्रेय हमारे भारतीय सैनिको को जाता है। उनके त्याग एवं बलिदान से हमारा देश सुरक्षित है। किसी एक दिवस को ही विजय दिवस नही कहा जा सकता क्योकि सैनिक तो प्रत्येक दिवस शहीद हो रहा है चाहे वो देश की सीमा सुरक्षा हो या देवीय आपदाएं। भारतीय सेना हर समय तत्पर रहती है।
डॉ० मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेशक (सज्जा कला) ने कार्यक्रम का संचालन एवं प्रदर्शनी के बारे में विस्तार पूर्वक व्याख्या की। प्रदर्शनी में सुश्री अलशाज़ फात्मी, डॉ0 विनय कुमार सिंह, शारदा प्रसाद त्रिपाठी, प्रमोद कुमार सिंह, डॉ० अनिता चौरसिया, श्री धन्नंजय राय, श्री विजय मिश्र, श्रीमती शशिकला राय, श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव, श्रीमती गायत्री गुप्ता, श्रीमती नीना मिश्रा, श्री परवेज़ खान, श्री सुरेश एवं श्री बृजेश कुमार यादव सगेत उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय एवं राज्य संग्रहालय, लखनऊ के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी तथा पत्रकार बन्धु भी उपस्थित थे।

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