मुख्यमंत्री व केन्द्रीय शिक्षा तथा कौशल एवं उद्यमशीलता मंत्री ने 404 करोड़ रु0
की धनराशि से पी0एम0 श्री स्कूलों के आधुनिकीकरण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मंशा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारत एक बार फिर से दुनिया को नेतृत्व प्रदान करे। इस दिशा में उत्तर प्रदेश पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहा है। राज्य में वर्तमान में लगभग 05 करोड़ बच्चे विभिन्न पाठ्यक्रमों में स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जबकि दुनिया के कई देशों की 05 करोड़ आबादी भी नहीं है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में 404 करोड़ रुपये की धनराशि से पी0एम0 श्री स्कूलों के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी और केन्द्रीय शिक्षा तथा कौशल एवं उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा ‘प्रोजेक्ट अंलकार’ के अन्तर्गत माध्यमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के संतृप्तीकरण हेतु 347 करोड़ रुपये की धनराशि का अन्तरण किया गया। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने नवचयनित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों व जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के वरिष्ठ प्रवक्ताओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। साथ ही, उन्होंने परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को टैबलेट और परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व सहायक अध्यापकों को स्मॉर्ट क्लास के प्रमाण पत्र वितरित किये। ज्ञातव्य है कि उक्त कार्यक्रम से प्रदेश के विभिन्न जनपदों से जनप्रतिनिधिगण भी वर्चुअल माध्यम से जुड़े थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों को पूरा करने की श्रृंखला में 05 सितम्बर, 2022 को शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने पी0एम0 श्री स्कूल योजना की घोषणा की थी। उन्होंने इस योजना को उत्तर प्रदेश में शीघ्रता से शुभारम्भ/क्रियान्वित करने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री जी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की स्कूली शिक्षा से जुड़े 05 करोड़ बच्चों को यह योजना एक नई प्रेरणा प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पी0एम0 श्री विद्यालयों में आई0सी0टी0 लैब, स्मार्ट क्लास, डिजीटल लाइब्रेरी, विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब, अटल टिंकरिंग लैब, बाल वाटिका, अतिरिक्त कक्षा-कक्ष, फर्नीचर व स्पोर्ट्स ग्राण्ट जैसे विभिन्न कार्य किये जाने हैं। पी0एम0 श्री योजना के लिए प्रदेश के 1753 विद्यालयों का चयन किया गया है। प्रथम चरण में इस वर्ष 928 विद्यालयों का चयन किया गया है, जिन्हें कक्षा-01 से कक्षा-12 तक अपग्रेड किया जाएगा। इन्हें अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त करते हुए इण्टीग्रेटेड कैम्पस के रूप में विकसित किया जाएगा।
पी0एम0 श्री स्कूल योजना एक अभिनव प्रयोग है। यह योजना आज की आवश्यकता है। स्कूली शिक्षा के आमूलचूल परिवर्तन में पी0एम0 श्री स्कूल योजना मील का पत्थर साबित होगी। समय से दो कदम पहले चलकर भारत सरकार ने इस कार्यक्रम को क्रियान्वित करने का कार्य किया है। पी0एम0 श्री स्कूल योजना इन्टीग्रेटेड एण्ड मॉडर्न एजूकेशन की दिशा में अत्यन्त सराहनीय पहल है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पी0एम0 श्री स्कूल के उद्देश्यों के अनुरूप ही प्रदेश सरकार ने बेहतर माहौल में बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए 18 अटल आवासीय विद्यालयों को प्रारम्भ किया है। इन विद्यालयों में श्रमिकों के बच्चे या कोरोना कालखण्ड में जिन बच्चों ने अपने लीगल अभिभावक को खो दिया है, उन्हें नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर आवासीय शिक्षा प्रदान की जा रही है। पहले चरण में 18 विद्यालय प्रारम्भ किए गए हैं। अटल आवासीय विद्यालयों का कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से उद्घाटन किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अटल आवासीय विद्यालय लगभग 12 से 15 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तारित हैं। इनमें विद्यालय के भवन, बालक-बालिकाओं के लिए हॉस्टल्स, खेल मैदान, अत्याधुनिक लैब्स, डिजिटल लाइब्रेरी बनायी गई हैं। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से राज्य सरकार ने शेष 57 जनपदों में मॉडल कम्पोजिट विद्यालयों के निर्माण की कार्यवाही को शुरू किया है। इसके लिए इसी सत्र में एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि की व्यवस्था की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में माध्यमिक शिक्षा के विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के संतृप्तिकरण हेतु ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ के माध्यम से 347 करोड़ रुपये की धनराशि का अन्तरण किया गया है। ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों को जिनके भवन काफी जर्जर हो चुके हैं, उन्हें फेज़ वाइज आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। सरकारी विद्यालयों के लिए राज्य सरकार नये भवन निर्मित करायेगी तथा सहायता प्राप्त विद्यालयों को 75 प्रतिशत आर्थिक सहायता उपलब्ध करायेगी। शेष 25 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था सहायता प्राप्त विद्यालयों को स्वयं करनी होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त विद्यालयों की इनकम बढ़ाने के भी प्रयास किये हैं। इसके लिए विद्यालय के पास जो सरप्लस जमीन/मैदान है, उसके व्यावसायिक उपयोग की व्यवस्था की है। इस व्यवस्था के माध्यम से अर्जित आय का सक्षम अधिकारी द्वारा वार्षिक रूप से ऑडिट किया जाएगा। इसे निरीक्षण की प्रक्रिया से जोड़ा गया है, जिससे इस धनराशि का उपयोग केवल शिक्षा एवं विद्यालय के बच्चों को अधिकाधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने में ही किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को बेहतरीन तरीके से क्रियान्वित करने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। केवल सैद्धान्तिक पाठ्यक्रम हमारे अध्ययन का हिस्सा नहीं होना चाहिए, बल्कि व्यावहारिक अध्ययन भी आवश्यक है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए कुछ प्रयास किए हैं। स्कूली बच्चों को उनके जनपद के ओ0डी0ओ0पी0 के साथ जोड़कर प्रोजेक्ट वर्क कराए जाएं, जो उनके स्किल डेवलपमेन्ट में मददगार होगा। पी0एम0 विश्वकर्मा योजना, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड की योजनाओं से बच्चों को जोड़ा जाए। बच्चों के लिए तीन माह या छः माह के सर्टिफिकेट कोर्स प्रारम्भ किए जाएं। बच्चों में कौशल विकास के लिए परम्परागत पाठ्यक्रम के साथ ही, उन्हें कुछ अतिरिक्त कार्यक्रमों से जोड़ा जाए। राज्य सरकार इस प्रकार के कार्यों को माध्यमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा में भी लागू करने की तैयारी कर रही है।
प्रदेश सरकार बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। राज्य सरकार बेसिक शिक्षा परिषद के 96 प्रतिशत विद्यालयों को ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ के माध्यम से सुदृढ़ कर चुकी है। सुदृढ़ीकरण करते हुए विद्यालयों में अच्छी फ्लोरिंग-फर्श, बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है। स्मार्ट क्लास व लाइब्रेरी की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा चुकी है। इसके लिए ज्यादातर धनराशि की व्यवस्था जनसहभागिता से की गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्कूली शिक्षा के ड्रॉप आउट रेशियो को नियंत्रित करने में हम काफी हद तक सफल हुए हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने जुलाई, 2017 में ही ‘स्कूल चलो अभियान’ शुरू किया था। इस अभियान के साथ जनप्रतिनिधिगण, प्रशासनिक अधिकारी तथा शिक्षकगण अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हैं। गत वर्ष बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों की सही संख्या के लिए आधार ऑथेंटिकेशन की प्रक्रिया अपनायी गयी। इन सभी प्रयासों का परिणाम रहा कि 40 लाख बच्चों की बढ़ोत्तरी प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में हुई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले परिषदीय विद्यालयों के बच्चे भीषण ठण्ड में नंगे पैर व बगैर स्वेटर के स्कूल जाते थे। राज्य सरकार सभी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूता-मोजा, स्कूल बैग-बुक्स इत्यादि प्रदान करने के लिए प्रत्येक बच्चे के अभिभावक के बैंक खाते में डी0बी0टी0 के माध्यम से 1200 रुपये अन्तरित कर रही है। परिषदीय विद्यालयों में 01 लाख 25 हजार शिक्षकों की भर्ती की गई है।
हर जनपद में ‘मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना’ वर्चुअल और फिजिकल माध्यम में प्रारम्भ में प्रारम्भ की जा चुकी हैं, जिसमें कोई भी बालक-बालिका संघ लोक सेवा आयोग व उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं, नीट, जे0ई0ई0 जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं। हमने अच्छी फैकेल्टी को इस योजना के साथ जोड़ा है। प्रशिक्षु आई0ए0एस0, आई0पी0एस0, पी0सी0एस0 या विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के उत्तीर्ण अभ्यर्थी अनिवार्य रूप से वहां एक क्लास अवश्य लें। इस योजना के बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। विगत 02 वर्षों में इस योजना के लाभार्थी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर रहे हैं तथा उनकी संख्या निरन्तर बढ़ रही है।
वर्ष 2017 से पूर्व गरीब लोगों के बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूलों में उचित माहौल व उचित व्यवस्था नहीं थी। स्कूलों तक पहुंचने के लिए कनेक्टिविटी अच्छी नहीं थी। विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं थे। शिक्षा व्यवस्था में नकल माफिया हावी थे। चाहे गरीब हो या अमीर हर व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है। प्रदेश सरकार ने नकल व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त किया है। परीक्षा केन्द्र उन्हीं विद्यालयों को बनाया जा रहा है, जिसके पास अपनी जमीन, विद्यालय भवन, बाउण्ड्री वॉल तथा सी0सी0टी0वी0 कैमरे की व्यवस्था है। इसी प्रकार मान्यता उसी विद्यालय को दी जा रही है, जिसके पास अपनी जमीन, विद्यालय भवन व शिक्षक हांगे।
केन्द्रीय शिक्षा तथा कौशल एवं उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि पूरी दुनिया की निगाहें भारत की ओर हैं और भारत का केन्द्र बिन्दु उत्तर प्रदेश बन चुका है। मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों को धरातल पर उतारने का कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत सहित पूरी दुनिया को आलोक की ओर ले जाने की ताकत है।
मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में आज उत्तर प्रदेश गुणवत्तायुक्त तथा आधुनिक शिक्षा की दिशा में अग्रसर है। शिक्षा में तकनीक का समावेश आज की आवश्यकता है। प्रदेश में पी0एम0 श्री स्कूल योजना में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित लगभग 01 हजार विद्यालयों को आच्छादित किया गया है। इस योजना के माध्यम से आधुनिक सुविधाओं से युक्त विद्यालयों का निर्माण किया जाएगा। यह विद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन का माध्यम बनेंगे।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश आज तीव्र गति से विकास पथ पर अग्रसर है। उत्तर प्रदेश के बच्चे हर क्षेत्र में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। प्रदेश के आकांक्षात्मक जनपदों के बच्चे अपनी शिक्षा को बेहतर ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार, आई0आई0टी0 गांधीनगर के सेण्टर फॉर क्रिएटिव लर्निंग के साथ मिलकर अपने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में बेहतर शिक्षा के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान आधारित सदी है। आने वाले समय में भारत में विश्वस्तर के विश्वविद्यालय कार्य करेंगे। इन वैश्विक विश्वविद्यालयों की पहली पसन्द उत्तर प्रदेश बन रहा है। सरकार का उद्देश्य बच्चों को विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करना है।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार का उद्देश्य अपनी आने वाली पीढ़ी को बेहतर ढंग से तैयार करने का है, तभी हम भारत को 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का देश बना पायेंगे। देश की 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी में उत्तर प्रदेश के योगदान का लक्ष्य 01 ट्रिलियन डॉलर है।
प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संदीप सिंह, माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती गुलाब देवी व स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, भारत सरकार के सचिव श्री संजय कुमार ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव बेसिक व माध्यमिक शिक्षा श्री दीपक कुमार, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा श्री एम0के0एस0 सुन्दरम सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा शिक्षा विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।