देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को पेश समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक में सहवासी संबंध यानि लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के लिए अनिवार्य पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है, और ऐसा नहीं करवाने पर उन्हें कारावास की सजा भुगतनी होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा पेश समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024 विधेयक में यह भी कहा गया है कि इस रिश्ते से उत्पन्न बच्चे को वैध माना जाएगा और उसे विवाह से पैदा बच्चे के समान ही उत्तराधिकार के अधिकार मिलेंगे। विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि राज्य में लिव-इन में रह रहे युगल को क्षेत्र के निबंधक के समक्ष एक तय प्रारूप में अपने संबंध का पंजीकरण करवाना जरूरी होगा।
हालांकि, विधेयक के अनुसार, ऐसी स्थिति में लिव-इन संबंध का पंजीकरण नहीं किया जाएगा, जहां कम से कम एक व्यक्ति अवयस्क हो। अगर दोनों व्यक्तियों में से किसी एक की आयु भी 21 वर्ष से कम हो तो निबंधक उनके माता-पिता को इस बारे में सूचित करेगा। इसके अलावा, अगर जोड़े में शामिल किसी व्यक्ति की सहमति बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव या किसी झूठ या धोखाधड़ी करके ली गई हो, तो भी ‘लिव-इन’ का पंजीकरण नहीं होगा। विधेयक में कहा गया है कि एक माह के अंदर ‘लिव-इन’ में रहने की सूचना न देने पर तीन माह की कैद या दस हजार रुपए का जुर्माना या दोनों दंड प्रभावी होंगे। इस संबंध में गलत सूचना देने पर कारावास के अलावा 25000 रू के जुर्माने का प्रस्ताव है।
‘लिव-इन’ में रहने वाली महिला को अगर उसका पुरूष साथी छोड़ देता है तो वह उससे भरण-पोषण का दावा कर सकती है। विधेयक में प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति, उत्तराधिकार के विषयों पर धर्म से परे एक समान कानून का प्रस्ताव है। हालांकि, प्रदेश में रहने वाली जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।