किसान नेताओं को HC की फटकार: कहा- बच्चों को आंदोलन में बनाया जा रहा ढाल…
किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई के दौरान किसान नेताओं को फटकार लगाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि युद्ध जैसे हालात में बच्चों को ढाल बनाना शर्मनाक है, यह पंजाब की संस्कृति नहीं है। इस मामले में हरियाणा व पंजाब सरकार को हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर यह युद्ध जैसी स्थिति बनने ही क्यों दी गई। दोनों सरकारों की नाकामी के कारण ही यह स्थिति बनी है।
गुरुवार को मामले की सुनवाई शुरू होते ही हरियाणा व पंजाब सरकार की ओर से किसान आंदोलन को लेकर हलफनामा दाखिल किया गया। इस दौरान हाईकोर्ट ने किसान शुभकरण की मौत के बाद एफआईआर दर्ज करने में देरी पर हरियाणा व पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दोनों राज्य जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने का प्रयास कर रहे हैं। राज्यों की ओर से दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि मौत जाहिर तौर पर अत्यधिक पुलिस बल का मामला है। हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज और हरियाणा व पंजाब से एडीजीपी रैंक के एक-एक अधिकारी शामिल होंगे।
जिन बच्चों को स्कूल में होना चाहिए, वो हथियारों के साथ नजर आ रहे
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने जब विरोध स्थलों की तस्वीरें दिखाईं तो हाईकोर्ट ने किसान नेताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि किसानों और सरकार के बीच टकराव के चलते दोनों राज्यों के बॉर्डर पर युद्ध जैसी स्थिति है। इतनी भयानक स्थिति में बच्चों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था, यह शर्मनाक है, यह पंजाब की संस्कृति तो नहीं है। जिन बच्चों को स्कूल में होना चाहिए था वो हथियारों के साथ नजर आ रहे हैं, क्या किसान नेता अपने छोटे बच्चों को ऐसी स्थिति में भेजते। कोर्ट ने कहा कि तस्वीरों में लोग तलवार व अन्य तेज धार हथियारों के साथ देखे जा सकते हैं, क्या ये शांतिपूर्ण आंदोलन है।
गोलियों और छर्रों के इस्तेमाल का विवरण मांगा
इस दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि खनौरी में भारत-पाक की सरहद नहीं थी फिर किसानों पर गोलियां क्यों दागी गईं। हरियाणा सरकार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की हिंसक कार्रवाई में 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और कई बार चेतावनी के बाद पहले लाठीचार्ज, फिर आंसू गैस, फिर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया लेकिन जब बात नहीं बनी तो रबड़ की गोलियां चलाई गईं। इस पर हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस की ओर से प्रदर्शनकारियों पर किस तरह की गोलियों और छर्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है और उनसे इस पर विवरण देने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर किसान 13 फरवरी से एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मोर्चे पर हैं। मोर्चे पर बड़ी संख्या में महिलाएं बच्चों के साथ पहुंच रही हैं। 21 फरवरी को खनौरी बॉर्डर पर बठिंडा के बल्लो गांव के युवक शुभकरण की पुलिस टकराव में मौत हो गई थी।
जस्टिस जय श्री ठाकुर की अध्यक्षता में काम करेगी कमेटी
हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस जय श्री ठाकुर की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। उनके साथ हरियाणा के एडीजीपी अमिताभ सिंह ढिल्लों व पंजाब के एडीजीपी प्रमोद बन को कमेटी का हिस्सा बनाया है। जस्टिस जय श्री ठाकुर को प्रतिमाह पांच लाख रुपये का भुगतान दोनों सरकारों को बराबर हिस्से में करना होगा।
कमेटी को सौंपी यह जिम्मेदारी
कमेटी तय करेगी कि शुभकरण की मौत हरियाणा के क्षेत्राधिकार में हुई थी या पंजाब के क्षेत्र में। मौत का कारण क्या था और किस हथियार का इस्तेमाल किया गया था। आंदोलनकारियों पर जिन तिथियों पर बल प्रयोग किया गया था, क्या वह परिस्थितियों के अनुरूप था या नहीं। साथ ही शुभकरण की मौत के मुआवजे को लेकर भी कमेटी फैसला लेगी।