पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति चुने गए आसिफ अली जरदारी
पाकिस्तान की दिवंगत पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के विधुर आसिफ अली जरदारी को शनिवार को दूसरी बार देश का राष्ट्रपति चुना गया। जरदारी पर भ्रष्टाचार और अपहरण की बेतुकी साजिशों और ढेर सारे आभूषणों पर रिश्वत लेने सहित कई अन्य आरोप लगे। हालांकि, इन सभी के बावजूद वह अपने दूसरे कार्यकाल में एक बड़े पैमाने पर औपचारिक पद संभालेंगे।
2007 में जरदारी की पत्नी की बम और बंदूक हमले में हत्या कर दी थी। 2008 से 2013 के बीच उन्होंने राष्ट्रपति पद पर संवैधानिक सुधारों की शुरुआत की। घोटालों के कारण उन्होंने 11 साल से अधिक समय जेल में बिताया है, जो पाकिस्तानी राजनेताओं के मानकों के हिसाब से भी काफी लंबा समय है।
इन शर्तों के बाद चुना गया राष्ट्रपति
नव-शपथ ग्रहण करने वाले राष्ट्रीय और प्रांतीय सांसदों और सीनेटरों ने धांधली के दावों के कारण 8 फरवरी के चुनावों के बाद हुए गठबंधन समझौते की शर्तों के तहत उन्हें वोट दिया। समझौते के तहत, जरदारी राष्ट्रपति घोषित किए गए जबकि ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी ने शहबाज शरीफ को देश का प्रधानमंत्री का पद सौंपा गया, जिन्होंने सोमवार को आधिकारिक शपथ ली।
‘मिस्टर 10 परसेंट’ का दिया गया था नाम
जरदारी का जन्म 1955 में दक्षिणी प्रांत सिंध में हुआ था। 2000 में द गार्जियन अखबार के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि एक बच्चे के रूप में, मेरे माता-पिता ने इकलौते बेटे के रूप में मुझे पूरा बिगाड़ दिया था। उन्होंने मेरी हर इच्छा पूरी की।
आसिफ जरदारी को मिस्टर टेन (10) प्रतिशत के नाम से जाना जाता है, क्योंकि उन पर सरकारी ठेकों के लिए रिश्वत के रूप में 10% की मांग करने का आरोप है।
प्लेबॉय थे जरदारी?
1983 का स्थानीय सरकार का चुनाव हारने के बाद 1987 में पीपीपी नेता भुट्टो के साथ उनकी अरेंज मैरिज ने उन्हें राजनीतिक सुर्खियों में ला दिया। भुट्टो ऑक्सफोर्ड और हार्वर्ड से स्नातक थीं। वहीं, जरदारी एक विश्वविद्यालय ड्रॉपआउट थे और डिस्को में महिलाओं के साथ झगड़ा करने, पार्टी करने और रोमांस करने के लिए जाने जाते थे। इन कारणों से उन्हें प्लेबॉय भी कहा जाता था। हालांकि, शादी के बाद भुट्टो की टीम ने एक औपचारिक बयान जारी कर इस बात से इनकार किया कि वह एक प्लेबॉय हैं जो दिन में पोलो खेलते हैं और रात में अक्सर डिस्को में जाते हैं।
जब आरोपों से घिरने लगे थे जरदारी
भुट्टो ने 1988 से 1990 तक प्रधानमंत्री के रूप में पद संभाला और फिर 1993 से 1996 तक देश की पीएम बनीं रही। मुस्लिम देश में लोकतांत्रिक सरकार का नेतृत्व करने वाली वह पहली महिला थी। इस बीच जबरन वसूली और अपहरण के आरोप में जरदारी को तीन साल की जेल हुई, लेकिन सलाखों के पीछे से नेशनल असेंबली के लिए वह चुने गए। भुट्टो के दूसरे कार्यकाल में, उन्होंने निवेश मंत्री के रूप में कार्य किया। 1996 में भुट्टो की सरकार गिरने के बाद, जरदारी आधे घंटे के भीतर सलाखों के पीछे वापस आ गये।
पत्नी की हत्या ने बनाया जरदारी को देश का राष्ट्रपति
दिसंबर 2007 में, भुट्टो की हत्या कर दी गई थी जब वह प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव प्रचार कर रही थी। उनकी हत्या ने देश को अंदर तक हिलाकर रख दिया था। सहानुभूति की लहर ने 2008 में पीपीपी को जीत दिलाई। पार्टी ने जरदारी को राष्ट्रपति के रूप में नामित किया। 2010 में, जब देश बाढ़ से तबाह हो रहा था, तब जरदारी की व्यापक रूप से काफी आलोचना की गई थी। इस बाढ़ में लगभग 1,800 लोग मारे गए थे और 21 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे।
जेल में कटी जिंदगी
जब अमेरिकी कमांडो ने 2011 में ओसामा बिन लादेन की हत्या के लिए पाकिस्तान में घुसपैठ की थी, तब वह राज्य के प्रमुख भी थे। 2013 में, जरदारी अपना पूरा कार्यकाल पूरा करने वाले पहले पाकिस्तानी राष्ट्रपति बने। 2019 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उन्हें एक बार फिर जेल में डाल दिया गया, लेकिन महीनों बाद रिहा कर दिया गया। जरदारी और बेनजीर के तीन बच्चे है, जिनमें पीपीपी के वर्तमान अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल थे।